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नवरात्र में भगवती का आगमन व गमन



नवरात्र में भगवती का आगमन गमन चार सवारियों पर होता है. इसमें हाथी, घोड़ा, पालकी नाव की सवारी शामिल हैं |

भगवती के आगमन गमन का फल
नवरात्र के प्रथम दिन भगवती का आगमन और दशमी को गमन दिनों के अनुसार वर्ष का शुभ और अशुभ का ज्ञान करते हैं यथा-
भगवती का आगमन दिन :


शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ (  देवीपुराण)

रविवार और सोमवार को भगवती हाथी पर आती हैं,
शनि और मंगल वार को घोड़े पर,
बृहस्पति और शुक्रवार को डोला पर,
बुधवार को नाव पर आती हैं।

गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥

अर्थात् दुर्गा हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है
घोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है। 
नाव पर आने से सब कार्यों में सिद्ध मिलती है और 
यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है।



गमन (जाने)विचार:-

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

भगवती रविवार और सोमवार को महिषा (भैंसा)की सवारी से जाती है जिससे देश में रोग और शोक की वृद्धि होती है। 
शनि और मंगल को पैदल जाती  हैं जिससे विकलता की वृद्धि होती है। 
बुध और शुक्र दिन में भगवती हाथी पर जाती  हैं। इससे वृष्टि वृद्धि होती है।
 बृहस्पति वार को भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं। जो सुख और सौख्य की वृद्धि करती है। 
इस प्रकार भगवती का आना जाना शुभ और अशुभ फल सूचक हैं। 
इस फल का प्रभाव यजमान पर ही नहीं, पूरे राष्ट्र पर पड़ता हैं।

1 comment:

  1. Excellent I forgotten gaman aagaman mantra l searched and got it thank you

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