1

शारदीय नवरात्र 2014

25 सितंबर 2014 गुरुवार को अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा हस्त नक्षत्र और ब्रह्म योग में, सूर्य और चन्द्रमा कन्या राशि में शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी | इस समय गुरुवार का कारक ग्रह गुरु इस समय उच्च राशि
कर्क में स्थित है। साथ ही, शनि भी तुला राशि में उच्च का बना हुआ है।
देवी पुराण में नवरात्र के दिन देवी का आह्वान, स्थापना व पूजन का समय प्रात: काल माना गया है। मगर इस दिन चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग वर्जित बताया गया है।
घट स्थापना का मुहूर्त प्रातः 6.14 बजे 7:30 बजे तक शुभ के चौघडियॉ रहेगा। 10.30 बजे से12 तक चर व 12 बजे से 1:30 तक लाभ और अमृत चौघडिया दोपहर 1:30 से दोपहर 3 बजे तक व 4:30 से 6 बजे तक शुभ के चौघडिए में भी घट स्थापना की जा सकती है। 

राहू काल का समय दोपहर 1:44  से 3:13 बजे तक रहेगा
 अभिजीत मुहूर्त 11:50 से 12:38 बजे तक 


इस बार मां दुर्गा का आगमन  गुरुवार को पालकी पर सवार होगा, 
एवं शुक्रवार को विसर्जन होने से हाथी पर बैठकर जायेगी | 
मां दुर्गा यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है। 
और वर्तमान समय में सूर्य ( आत्मा करक ) ,चन्द्र ( मन ) एवं शुक्र (भौतिक सुखों का कारक ) तीनो ग्रह राहु, केतु से पीड़ित हैं | शुक्र इस समय अपनी नीच राशि कन्या में हैं  यह अच्छे संकेत नहीं हैं !!!!!!
बांगला मान्यता के अनुसार मां दुर्गा अपने परिवार लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती कार्तिकेय के साथ धरती पर नवरात्री की पंचमी तिथि से नवमीं तक वास करती हैं। मां के घर आने पर धूम-धाम से उनका स्वागत और आराधना की जाती है।

देवीपुराण में नवरात्रि में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताये गए हैं | ऐसी मान्यता है कि मां के आने-जाने के इन साधनों से मौसम का निर्धारण और ज्योतिष गणना की जाती है। मां दुर्गा यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है। 
आगमन वाहन-
रविवार व सोमवार को हाथी,
शनिवार व मंगलवार को घोड़ा
गुरुवार व शुक्रवार को पालकी
बुधवार को नौका आगमन होता है
प्रस्थान वाहन-
रविवार व सोमवार भैसा
शनिवार और मंगलवार को सिंह
बुधवार व शुक्रवार को गज हाथी
गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान करती

नवरात्र में अलग-अलग दिनों में मां का अलग-अलग रंगों के वस्त्रों से श्रृंगार करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं।
गुरुवार को क्रीम
शुक्रवार को मटमैला या भूरे
रविवार को लाल,
सोमवार को गुलाबी,
मंगलवार को लाल,
बुधवार को हरे रंग के वस्त्रों से मां का श्रृंगार करने से मां आदि शक्ति प्रसन्न होती हैं।
नवरात्र में मां भगवती के लिए  भोग
नवरात्र में मां भवानी को मनाने के लिए अलग-अलग तरह के भोग प्रसाद चढ़ाने चाहिए।
25-सितंबर प्रतिपदा प्रथम नवरात्र माँ शैलपुत्री - गाय का शुद्ध घी चढ़ाए। इससे आरोग्यता का अशीर्वाद प्राप्त होता है।

26-सितंबर द्वितीया नवरात्र मां ब्रमचारिणी- शक्कर का भोग लगाए। इससे परिवार को दीर्घायु प्राप्त होती है।

27-सितंबर तृतीया नवरात्र मां चन्द्रघंटा - दूध की खीर अर्पित करें। इससे दु:खों से मुक्ति मिलती है।

28-सितंबर चतुर्थ नवरात्र मां कूष्मांडा - मालपुए का भोग लगाएं। इससे बुद्धि में विकास होता है।

29-सितंबर पंचम नवरात्र मां स्कन्दमाता - केले का भोग लगाएं। इससे निरोगी काया मिलती है।

30-सितंबर षष्ट नवरात्र मां कात्यायनी- शहद का भोग लगाएं। इससे आकर्षण और सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।

1- अक्टूबर सप्तम नवरात्र मां महाकाली - गुड़ का भोग लगाएं। इससे आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।

2-अक्टूबर अष्टम नवरात्र मां महागौरी - नारियल का भोग लगाएं। इससे आत्मशक्ति में विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

3-अक्टूबर नवमी/दशमी नवरात्र मां सिद्धिदात्री - काले तिल का भोग लगाएं। इससे मृत्यु का भय नहीं होता।

नवरात्र व्रत में दिन के नैवेद्य की अपनी विशेषता है।
रविवार को खीर,
सोमवार को दूध,
मंगलवार को केला,
बुधवार को मक्खन,
बृहस्पति को खांड,
शुक्रवार को चीनी तथा
शनिवार को गाय का घी जगदंबा भवानी को नैवेद्य के रूप में अर्पित करना चाहिए।
घी, तिल, चीनी, दही, दूध, मलाई, लस्सी, लड्डू, तारफेनी, घृतमंड, कसार, पापड़, घेवर, पकौड़ी, कोकरस, घृतमिश्रित चने का चूर्ण, मधु, चूरमा, गुड़, चिउड़ा, दाख, खजूर, चारक, पूआ, मक्खन, मूंग के बेन का लड्डू और अनार का नक्षत्रानुसार भोग अर्पण करने से भगवती की कृपा प्राप्त होती है।




No comments:

Post a Comment

We appreciate your comments.

Lunar Eclipse 2017