1

Shani Swari and phal in sade sati


साढ़े सती में शनि का वाहन भी तय करता है आपका भविष्य जानें कैसे?

शास्त्रो मे कहा गया है कि शनिदेव एकमात्र ऐसे देव हैं शनिदेव के नौ वाहन है। शनि चालीसा में भी शनिदेव के 7 वाहनों के बारे में बताया गया है। और साढ़ेसाती में उनके फलों की बात कही गयी है, इसके अलावा शनिदेव के अन्य 2 वाहन भी हैं। शनिदेव के वाहनों की जानकारी इस प्रकार है-

वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्गज, गर्दभ, मृग, अरुस्वाना।।
जम्बुक, सिंह आदि नखधारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।

अर्थात- शनिदेव के सात वाहन हैं- हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध। इसके अलावा भैंसा व कौए को भी इनका वाहन माना गया है।
ज्योतिष तथा दार्शनिक शास्त्र के कई नवीन शोधकर्ताओं ने शनि कि गोचर अनुसार राशि परिवर्तन की तिथि, नक्षत्र में गोचर तथा नक्षत्र परिवर्तन अनुसार शनिदेव के नौ वाहनों का उल्लेख किया है। शनिदेव के हर वाहन का अलग अर्थ है तथा हर वाहन का शुभाशुभ फलादेश है।

शनि वाहन का निर्धारण:
शनि वाहन का निर्धारण जातक के जन्म  नक्षत्र अनुसार संख्या में निवास तथा शनि के राशि परिवर्तन तिथि और नक्षत्र संख्या के आधार पर होता है। यह ज्योतिष के गणित का सूत्र है।
इस गणित के सूत्र के अनुसार
जातक के जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड कर योगफल को नौ से विभजित करें, विभाजित करने के उपरांत बची हुई शेष संख्या के अनुरूप ही शनि वाहन का निर्धारण होता है। 
शेष 0 बचने पर संख्या नौ समझनी चाहिए।

शेष संख्या 1 होने पर शनि का वाहन गधा / गर्दभ होता है।
शेष सँख्या 2 होने पर शनि का वाहन घोड़ा / अश्व होता है।
शेष सँख्या 3 होने पर शनि का वाहन हाथी / गज होता है।
शेष सँख्या 4 होने पर शनि का वाहन भैंसा / महिष होता है।
शेष सँख्या 5 होने पर शनि का वाहन सिंह / शेर होता है।
शेष सँख्या 6 होने पर शनि का वाहन सियार / श्रृंगाल / जंबुक होता है।
शेष सँख्या 7 होने पर शनि का वाहन कौआ / काग  होता है।
शेष सँख्या 8 होने पर शनि का वाहन मोर / मयूर होता है।
शेष सँख्या 9 होने पर शनि का वाहन हंस होता है।

साढेसाती के दौरान शनि जिस वाहन पर सवार होकर जातक की कुण्डली मे प्रवेश करते है। उसी के अनुरुप शनि जातक को इस अवधि मे फल देते है। 
वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥

1. शनि सवारी गधा: दुःख, वाद-विवाद
गधा यूँ तो अश्व परिवार का ही पशु है। परन्तु इस जीव में गजब की सहन शीलता देखने को मिलती है। चेहरे पर सदा एक सा भाव बनाये हुए हर्ष और विसाद दोनों में एक सा दिखाई देता है।

अगर शेष संख्या 1 होने पर शनि गधे पर सवार होते है। जातक के लिए शनि का वाहन गधा होने पर शनि की साढेसाती मे मिलने वाले शुभ फलो मे कमी होती है। शनि के इस वाहन को शुभ नही कहा गया है ।शनि की साढेसाती की अवधि मे जातक को कार्यो मे सफलता प्राप्त करने के लिए काफी प्रयास करना होता है। जातक को  इस स्थिति मे मेहनत के अनुरुप ही फल मिलते है। इसलिए जातक का अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता है।

2. शनि सवारी  घोडा : सुख, संपत्ति, यात्रा
शेष सँख्या 2 होने पर शनि घोडे पर सवार होते है। घोडा शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए जब शनि देव घोड़े पर स्वर होते हैं तो व्यक्ति जोश और उर्जा से भरा होता है। जातक को शुभ फल मिलते है इस समय में जातक अपने बुद्धिबल से अपने शत्रुओ पर विजय हासिल करता है और अपने विरोधियों को परास्त करने मे सफल रहता है |

3. शनि सवारी  हाथी : उत्तम भोजन, सुख, लाभ

शेष सँख्या 3 होने पर शनि को हाथी पर सवार कहा गया है, हाथी को शनि के वाहन के रूप में शुभ नही कहा गया है।इस अवधि मे आशा के विपरीत फल मिलते है। इस स्थिति मे जातक को साहस व हिम्मत से काम लेना चाहिए। तथा विपरीत परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए।


4. शनि सवारी भैंसा : विपरीत, असफलता, रोग
शेष सँख्या 4 होने पर शनि का वाहन भैंसा होता है इस समय में  जातक को मिलेजुले फल मिलते है, इस अवधि मे जातक को संयम व होशियारी से काम करना चाहिए। जातक को इस समय मे समझदारी और सावधानी से काम करना चाहिए। इस समय मे अधीर व व्याकुल होना जातक के हित मे नही होता है। अन्यथा कटु फलो मे वृ्द्धि होने की संभावना होती है।

5. शनि सवारी सिंह : विजय, लाभ, सफलता
शेष सँख्या 5 होने पर शनि जंगल के राजा सिंह पर सवार होते है। सिंह जातक को शुभ फल देता है सिंह वाहन होने की स्तिथि में जातक अगर समझदारी व चतुराई से काम लेता है तो वह अपने शत्रुओ को परास्त कर विजय प्राप्त करने मे सफल होता है अत: इस अवधि मे जातक को अपने विरोधियोँ से घबराने की जरुरत नही होती है।


 6. शनि सवारी सियार या शृंगाल: भय, कष्ट
 सियार एक कपटी और धूर्त जानवर है कुछ दंतकथाओं में ऐसा प्रचलित है कि सियार गांव में प्रवेश करने से पहले गांव में उपस्थित धार्मिक स्थल से पुकार लगाकर प्रवेश की इजाजत मांगते हैं।
शेष सँख्या 6 होने पर शनि सियार पर सवार माने गये है। शनिदेव का वाहन सियार यदि शनि का वाहन सियार हो तो शुभ फल नहीं मिलता है इस अवधि में अशुभ समाचार मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, इस स्तिथि में जातक को धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए।

7. शनि सवारी कौआ : चिंता, मानसिक कष्ट
शेष सँख्या 7 होने पर शनि का वाहन कौआ कहा गया है । कौए को बहुत उद्दंड, धूर्त तथा चालाक पक्षी माना जाता है। कौआ एक विस्मयकारक पक्षी है। इनमें इतनी विविधता पाई जाती है कि इस पर एक 'कागशास्त्र' की भी रचना की गई है। अमरीकी यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के शोधकर्ताओं का कहना है कि वे खुद के लिए खतरा पैदा करने वाले चेहरे को पांच साल तक याद रख सकते हैं।
साढेसाती की इस अवधि मे कलह बढती है। जातक के लिए शनि का वाहन कौआ होने पर उसे शान्ति व सँयम से काम लेना चाहिए परिवार मे किसी मुद्दे को लेकर विवाद व कलह की स्थिति को टालने का प्रयास करना चाहिए ज्यादा से ज्यादा बातचीत कर बात को बढने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए इससे कष्टो मे कमी होती है।

8. शनि सवारी मोर / मयूर : सुख एवं लाभ
शेष सँख्या 8 होने पर शनि का वाहन मोर बताया गया है। मोर शुभ फल दायक है इस समय मे जातक को भाग्य का साथ भी मिलता है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है परेशानियां कम होती हैं इस समय में जातक थोड़ी सी समझदारी से स्वयंम को परेशानियों से दूर रखने में सफल रहता है।

9. शनि सवारी हंस  : लाभ, जय, सफलता

शेष सँख्या 9 होने पर शनि का वाहन हंस कहा गया है। हंस को बहुत विवेकी पक्षी माना जाता है। और ऐसा विश्वास है कि यह नीर-क्षीर विवेक (पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक) से युक्त है। यह विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है। ऐसी मान्यता है कि यह मानसरोवर में रहते हैं।
शनि का वाहन हंसहो तो साढेसाती की अवधि शुभ होती है शनि के सभी वाहनो मे इस वाहन को सबसे अधिक अच्छा कहा गया है।  यह वाहन जातक के आर्थिक लाभ व सुखो को बढाता है जातक अपनी बुद्धि से मेहनत करके भाग्य का पूर्ण सहयोग पाता है।

शनि साढेसाती तथा शनि सवारी फल
जिस जातक को शनि की साढेसाती के चरण के फल अशुभ मिल रहे है तथा शनि का वाहन भी शुभ नही है तो इस स्थिति मे साढेसाती के दौरान जातक को विशेष रुप से सावधान रहना चाहिए इस स्थिति मे जातक के सामने अनेक चुनोतियाँ आती है जिनका जातक को हिम्मत के साथ सामना करना चाहिए

अगर किसी जातक को साढेसाती के अशुभ फल मिल रहे हो तथा शनि का वाहन शुभ हो तो इस स्थिति मे साढेसाती के कष्टो मे कमी आती है और जातक को मिला जुला फल मिलता है

जिस जातक के लिए शनि का वाहन शुभ हो तथा साढेसाती के चरण के फल भी शुभ हो तो इस स्थिति मे शुभता बढ जाती है पर साढेसाती का चरण शुभ तो और वाहन का फल अशुभ आ रहा हो तो जातक को मिलजुले फल मिलते है

शनि का वाहन कुछ जातकों के लिए शुभ फलकारी है तथा कुछ के लिए अशुभ फल देने वाला होता है प्रत्येक जातक के लिए शनि के फल अलग अलग हो सकते है |

ढैय्या व साढ़े-सती के फलित का निष्कर्ष शनि की सही स्थिति का अवलोकन करने के बाद ही निकालना चाहिए। शनि की ढैय्या या साढ़े-सती का फल कई बातों पर निर्भर करता है
जैसे-
जन्म-पत्रिका में शनि की चंद्र से सापेक्ष दूरी पर।
जन्म-पत्रिका में शनि की स्थिति पर।
जन्म-पत्रिका व गोचर में ग्रहों की तुलनात्मक स्थिति।
पाद, वेध और प्रतिवेध पर।
शनि अष्टकवर्ग में विभिन्न भावों को मिली रेखाओं एवं अशुभ बिंदुओं पर।
जातक की दशा-अंतर्दशा पर।
जन्म-कुंडली में शनि की नवांश में स्थिति पर।
जन्म-कुंडली में शनि के षड्बल में बल पर।
पूर्व जन्म व वर्तमान जन्म के कर्मों के फल पर।
निम्न-वर्ग के साथ व्यवहार पर।
दैनिक जीवन में सत्य व न्याय
रत्न की धारण स्थिति पर।







No comments:

Post a Comment

We appreciate your comments.

Lunar Eclipse 2017