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शनि चक्र



शनि चक्र

Shani Chakra

जिस नक्षत्र में शनि स्थित हो उसको आदि देकर नराकार चक्र लिखे। जहां नाम का नक्षत्र पड़े  उसका शुभाशुभ फल कहें।
एक नक्षत्र सर में स्थापित करें और तीन मुख में और चार नक्षत्र गुदा में, दो नेत्रों में, हृदय में तीन, बायें हाथ में चार नक्षत्र स्थापित करें। बायें चरण में तीन और दक्षिण चरण में तीन और दाहिने हाथ में चार नक्षत्र स्थापित करें। यह चक्र इस प्रकार नारद मुनि ने कहा है। यदि शनि नक्षत्र सर  में पड़े तो वह पुरुष रोगी रहे और अगर मुख में पड़े तो लाभ होय, गुदा में पडे तो हानि होय, नेत्र में पड़े तो धन की प्राप्ति होय और यदि ह्रदय में पड़े तो सुखी होय और यदि बायें हाथ में पड़े तो बंधन होय और यदि बायें चरण में पड़े तो पीडा होय और यदि दक्षिण चरण में पड़े तो श्रेष्ठ यात्रा होय और दक्षिण हस्त में पड़े तो लाभ होय ॥१-४॥

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