पुष्य सिद्धौ
नक्षत्रे
सिध्यन्ति अस्मिन्
सर्वाणि कार्याणि सिध्यः
|
पुष्यन्ति अस्मिन्
सर्वाणि कार्याणि इति
पुष्य || (‘ पाणिनी संहिता ’)
अर्थात पुष्य नक्षत्र में शुरू किये गए सभी कार्य सिद्ध होते ही हैं.. फलीभूत
होते ही हैं | पुष्य शब्द का अर्थ ही
है कि जो अपने आप में परिपूर्ण , सबल, पूर्ण सक्षम और पुष्टिकारक है|
हिंदी शब्दकोष में ‘पुष्टी’ शब्द का निर्माण संस्कृत के इसी
पुष्य शब्द से हुआ |
२७ नक्षत्रों में से एक ‘पुष्य नक्षत्र’ है, और जब भी यह पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन पड़े उसे गुरु पुष्य नक्षत्र या ‘ गुरु पुष्यामृत योग ’ कहते हैं | पुष्य नक्षत्र उर्ध्वमुखी
नक्षत्र होने के कारण
इस में
किए गए कार्य पूर्णता तक पहुंच जाते हैं इसलिए इस नक्षत्र में
भवन निर्माण, ध्वजारोहण, मंदिर,
स्कूल और
औषधालय निर्माण विशेष फलदायक होता है। इसके साथ ही इस नक्षत्र में शपथ ग्रहण, पदभार ग्रहण, वायु यात्रा और तोरण बंधन विशेष
यश दिलाता है |
मान्यता है कि इस नक्षत्र में किए गए सभी कार्यों में सफ़लता अवश्य
प्राप्त होती है और पुष्य नक्षत्र यदि गुरुवार के दिन पड़े तो सर्वार्थ अमृतसिद्धि
योग बनता है
|
पुष्य सबसे शुभ ग्रह नक्षत्रों
में से एक है | “ तिष्य “ और “ अमरेज्य
“ जैसे अन्य नामों से भी पुकारे जाने वाले इस नक्षत्र की उपस्थिति कर्क
राशि के 3-20 अंश से 16-40 अंश तक है।
'अमरेज्य' का शाब्दिक अर्थ
है, देवताओं के द्वारा पूजा जाने वाला।
इस नक्षत्र का स्वामी न्यायप्रिय शनि और दिन
के स्वामी ज्ञान का दाता देवता गुरु है | शनि इस नक्षत्र के स्वामी ग्रहों के रूप में
मान्य हैं, लेकिन गुरु के गुणों से इसका साम्य कहीं अधिक बैठता है। इस दिन वृहस्पति देव का पूजन
करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं।
'गुरु' ज्ञान व सफलता का प्रतीक है, इसलिए इस योग में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कला, साहित्य, नाट्य, वाद्य या किसी विषय में शोध प्रारंभ करना, शैक्षिक व आध्यात्मिक गुरु चुनना, तंत्र-मंत्र व दीक्षा लेना, विदेश
यात्रा, व्यापार, धार्मिक कार्यों का आयोजन आदि कार्य करना शुभ होता है।वर्ष के सभी पुष्य नक्षत्रों में कार्तिक पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व है, कार्तिक अमावस्या के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र को शुभतम माना गया है। क्योंकि इसका संबंध कार्तिक मास के प्रधान देवता भगवान लक्ष्मीनारायण से है।
गुरुवार 16 अक्टूबर 2014 को अत्यन्त शुभ गुरुपुष्यामृतयोग बन रहा है , यह प्रातः 10:46 से आरम्भ होकर 17 अक्टूबर 2014 शुक्रवार दोपहर 1:36 तक रहेगा | कार्तिक अमावस्या से पहले आने वाले पुष्य नक्षत्र को बहुत शुभ माना जाता है।
कार्तिक माह का यह वृहस्पति वार सभी राशि के जातकों के
लिए विशेष फलदायी रहेगा। इस दिन इस मुहूर्त में की जाने वाली खरीदारी सुख, शांति व समृद्धिकारक रहेगी। इसलिये
इसका महत्व धनतेरस से भी ज्यादा माना जा रहा है |
इस
पुष्य नक्षत्र
पर गुरु
उच्च राशि
में रहेगा
और चंद्रमा
भी साथ होने से गजकेसरी नाम के
राजयोग
का संयोग
भी बन रहा हैं और पुष्य नक्षत्र यदि गुरुवार के दिन पड़े तो पुष्य नक्षत्र
के संयोग से सर्वार्थ अमृतसिद्धि योग भी बनता है | और शनि (पुष्य नक्षत्र का स्वामी ग्रह) भी उच्च राशि तुला में हैं।
यह नक्षत्र स्थायित्व को बल प्रदान करने वाला
है। इस
दिन बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी करना बहुत ही श्रेष्ठ एवं शुभफ़लदायी माना गया
है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु अधिक समय तक स्थायी और समृद्धि
प्रदान करती है. इस दिन स्वर्ण अथवा गुरु ग्रह से संबंधित वस्तुएँ अधिक लाभ प्रदान
करती हैं. इस दिन पीला पुखराज धारण करना अत्यन्त शुभकारी माना गया है |
इस मुहूर्त में जमीन या फ्लेट खरीदना, गृहप्रवेश,
सभी वाहन, बर्तन व सोने व चांदी के आभूषणों की खरीदी करना
अतिशुभ रहेगा।
इस दिन मुहूर्त के
अनुसार सभी भौतिक सुविधाओं के सामानों की खरीदी की जा सकती है |
इस दिन स्वर्ण अथवा गुरु ग्रह से संबंधित वस्तुएँ अधिक लाभ प्रदान करती
हैं. पुष्य नक्षत्र
में चांदी,
सोना, नये वाहन,
बही खातों की खरीददारी एवं गुरु ग्रह से
संबंधित वस्तुएँ अत्यधिक लाभ प्रदान करती है
इस
योग में खरीददारी, बैंक से संबंधित कार्य,
नया व्यापार-ऑफिस
शुरू करना,
पूजा-पाठ, संबंधित शुभ कार्य करने
से उन कार्यों के पूर्ण और शुभ परिणाम
प्राप्त होते
हैं।
इस
मुहूर्त में खरीदारी से घर में लक्ष्मी का वास होता है,
इस योग में खरीदी
गई वस्तुएं
आपके लिए ज्यादा लाभकारी
सिद्ध होंगी।
इस दिन आप किसी
भी नए कार्य की शुभ शुरुआत
कर सकते
हैं।
इन
दोनों ही योगों को शुभ योगों
में उत्तम माना गया है। शुभ होने के बावजूद पुष्य नक्षत्र कुछ कार्यों के
लिए अशुभ माना गया है। ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार पुष्य नक्षत्र में विवाह
संस्कार एवं साझेदारी में कोई नया काम करने से बचना चाहिए।
पुष्य
नक्षत्र के दिन आर्थिक मामलों में भी सावधानी बरतनी चाहिए। पुष्य
नक्षत्र के विषय में मान्यता है कि इस नक्षत्र में उधार लेने और देने से बचना
चाहिए। इस नक्षत्र में दिया गया धन वापस मिलने में कठिनाई आती है क्योंकि इस दिन
जो व्यक्ति कर्ज लेता है उसकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो जाती है और उसका कर्ज बढ़ता
जाता है।
पुष्य
नक्षत्र के विषय में यह
भी मान्यता है कि जिस मंगलवार, बुधवार
और शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र पड़ रहा हो उस दिन कोई नया काम नहीं शुरू करना
चाहिए। इस दिन कोई नयी चीज खरीदनी भी नहीं चाहिए। क्योंकि इन तीन दिनों के साथ
पुष्य नक्षत्र का योग अशुभ फल प्रदान करता है। पुष्य नक्षत्र का शुभ फल मात्र दो
दिन प्राप्त होता है गुरूवार को और रविवार को। गुरूपुष्य योग और रविपुष्य योग धन
संपत्ति में वृद्धि करने वाला योग है। इस योग में सोना,
घर, वाहन की खरीदारी करने से इन चीजों में वृद्धि होती है और इन चीजों से सुख
एवं लाभ मिलता है |
ऐसा संयोग 95 साल पहले 16 अक्टूबर 1919 को बना था। अब अगले 70 सालों तक ऐसा संयोग नहीं आएगा। अब ऐसा संयोग 11 अक्टूबर 2085 को बनेगा। (अंजु आनंद )
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