चन्द्र से बनने वाले अशुभ योगों
की श्रृंखला में केमद्रुम योग को दरिद्रतादायक
योग कहा गया है| जब जन्मांग में चन्द्र के साथ (युति) अथवा उस से द्वितीय व द्वादश स्थान में कोई ग्रह ना हो
एवं चन्द्र से दशम कोई ग्रह स्थित ना हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह देखता न हो तो
दरिद्रतादायक "केमद्रुम
योग" बनता है। केमद्रुम योग के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं
की जाती है|
यह एक अत्यंत
अशुभ योग है। इस योग में जन्म लेने वाला मनुष्य चाहे इन्द्र का प्रिय पुत्र ही
क्यों ना हो वह अंत में दरिद्री होकर भिक्षा मांगता है।
"कान्तान्नपान्ग्रहवस्त्रसुह्यदविहीनो, दारिद्रयदुघःखगददौन्यमलैरूपेतः।
प्रेष्यः खलः सकललोकविरूद्धव्रत्ति, केमद्रुमे भवति पार्थिववंशजोऽपि॥"
प्रेष्यः खलः सकललोकविरूद्धव्रत्ति, केमद्रुमे भवति पार्थिववंशजोऽपि॥"
अर्थात- यदि केमद्रुम योग
हो तो मनुष्य स्त्री, अन्न,
घर, वस्त्र व बन्धुओं से विहीन होकर दुःखी, रोगी, दरिद्री होता है चाहे उसका जन्म किसी राजा के यहां ही क्यों ना हुआ हो।
केमद्रुम योग में
जन्म लेनेवाला व्यक्ति निर्धनता एवं दुख को भोगता है, आर्थिक दृष्टि से वह गरीब होता है. आजिविका
संबंधी कार्यों के लिए परेशान रह सकता है | मन में भटकाव एवं असंतुष्टी की स्थिति बनी
रहती है. व्यक्ति हमेशा दूसरों पर निर्भर रह सकता है| पारिवारिक सुख में
कमी और संतान द्वारा कष्ट प्राप्त कर सकता है, ऐसे व्यक्ति दीर्घायु होते
हैं|
इस
योग के विषय में जातक पारिजात नामक ग्रन्थ
में कहा गया हैं कि -
योगे केमद्रुमे प्रापो यस्मिन कश्चि जातके ।
राजयोगा विशशन्ति हरि दृष्टवां यथा द्विषा: ।।
अर्थात—
जन्म के समय यदि किसी कुंडली
में केमद्रुम योग हो और उसकी कुंडली मैं सेकड़ो राजयोग भी हो तो वह भी विफल हो
जातें हैं । अर्थात
केमद्रुम योग अन्य सैकड़ों
राजयोगो का प्रभाव उसी प्रकार समाप्त कर देता हैं , जिस प्रकार जंगल में सिंह हाथियों का प्रभाव
समाप्त कर देता हैं ।
“केमद्रुम”
योग के विषय में कहा गया है क़ि-
“केमद्रुमे भवति पुत्र कलत्र हीनो देशान्तरे ब्रजती दुःखसमाभितप्तः ।
ज्ञाति प्रमोद निरतो मुखरो कुचैलो नीचः
भवति सदा भीतियुतश्चिरायु ॥”
अर्थात
जिसकी कुंडली
में केमद्रुम
योग होता
है वह पुत्र कलत्र
से हीन इधर उधर भटकने वाला, दुःख से अति पीड़ित, अल्पबुद्धि
एवं दुखी,
मलिन वस्त्र धारण करने वाला, नीच एवं कम उम्र वाला होता है|”
वेदों में कहा गया है क़ि
“ चन्द्रमा मनसो जाताश्चक्षो सूर्यो अजायत ”
चन्द्रमा का मन से घनिष्ठ सम्बन्ध है, कर्क राशि का
स्वामी चन्द्रमा मानसिक शान्ति का कारक ग्रह है | अशुभ ग्रहो
से दृष्ट
होने पर चन्द्रमाँ नकारात्मक
विचारों को जन्म देता
है |
केमद्रुम योग के बारे में ऐसी
मान्यता है कि यह योग संघर्ष और अभाव ग्रस्त जीवन देता है| इसीलिए ज्योतिष
के अनेक विद्वान इसे दुर्भाग्य का सूचक कहते हैं | परंतु लेकिन यह अवधारणा पूर्णतः सत्य नहीं है|
केमद्रुम योग से
युक्त कुंडली के जातक कार्यक्षेत्र में सफलता के साथ- साथ यश और
प्रतिष्ठा भी प्राप्त करते हैं| वस्तुतः अधिकांश विद्वान इसके नकारात्मक पक्ष पर
ही अधिक प्रकाश डालते हैं|
यदि इसके
सकारात्मक पक्ष का विस्तार पूर्वक विवेचन करें तो हम पाएंगे कि कुछ विशेष
योगों की उपस्थिति से केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए किसी जातक की
कुंडली देखते समय केमद्रुम योग की उपस्थिति होने पर उसको भंग करने वाले योगों पर
ध्यान देना आवश्यक है तत्पश्चात ही फलकथन करना चाहिए|
जब कुण्डली में
लग्न से केन्द्र में चन्द्रमा या कोई ग्रह हो तो केमद्रुम
योग भंग माना जाता है, योग
भंग होने पर केमद्रुम योग के अशुभ फल भी समाप्त होते है| कुण्डली में बन रही कुछ अन्य
स्थितियां भी इस योग को भंग करती है, जैसे चंद्रमा सभी ग्रहों से दृष्ट हो या चंद्रमा शुभ स्थान में हो या चंद्रमा शुभ
ग्रहों से युक्त हो या पूर्ण चंद्रमा लग्न में हो या चंद्रमा दसवें भाव में
उच्च का हो या केन्द्र में चंद्रमा पूर्ण बली हो अथवा कुण्डली में सुनफा, अनफा या दुरुधरा योग बन रहा हो, तो केमद्रुम योग भंग हो जाता है|
यदि
चन्द्रमा से केन्द्र में कोई ग्रह हो तब भी यह अशुभ योग भंग हो जाता है और
व्यक्ति इस योग के प्रभावों से मुक्त हो जाता है |
कुछ अन्य शास्त्रों के
अनुसार- यदि चन्द्रमा के आगे- पीछे केन्द्र और नवांश में भी इसी प्रकार की
ग्रह स्थिति बन रही हो तब भी यह योग भंग माना जाता है|
केमद्रुम योग होने पर भी जब चन्द्रमा शुभ
ग्रह की राशि में हो तो योग भंग हो जाता है| शुभ ग्रहों में बुध्, गुरु और शुक्र माने गये है| ऎसे में व्यक्ति संतान और
धन से युक्त बनता है तथा उसे जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है|
केमद्रुम योग को भंग करने वाले प्रमुख योग निम्नलिखित हैं।
1. चंद्रमा
पर बुध या गुरु की पूर्ण दृष्टि हो अथवा लग्न में
बुध या गुरु की स्थिति या दृष्टि हो।
2. चंद्रमा और गुरु के मध्य भाव-परिवर्तन का संबंध बन रहा हो।
3. चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्रमा पर दृष्टि डाल
रहा हो।
4. चंद्रमा-अधिष्ठित
राशि का स्वामी लग्न
में स्थित
हो।
5. चंद्रमा-अधिष्ठित
राशि का स्वामी गुरु से दृष्ट हो।
6. चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्रमा से भाव परिवर्तन
का संबंध बना रहा हो।
7. चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या नवमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा हो।
8. लग्नेश,
पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश में से कम से कम किन्ही दो
भावेशों का आपस में युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो।
9. लग्नेश बुध या गुरु से दृष्ट होकर शुभ स्थिति में हो।
10. चंद्रमा केंद्र में स्वराशिस्थ या उच्च राशिस्थ होकर शुभ स्थिति में हो।
उदाहरण के लिए
किरण बेदी की कुंडली का केमद्रुम योग भंग हो कर राजयोग में
परिवर्तित हुआ और वह अत्यंत सफल उच्च स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी बनी
1.चंद्रमा, अधिष्ठित राशि अपने स्वामी मंगल एवं लग्नेश बुध से दृष्ट है।
2. लग्नेश बुध,
चंद्र-लग्नेश मंगल तथा लग्न पर गुरु की पंचम व नवम शुभ दृष्टि है।
हिंदी फिल्म जगत के प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना की जन्म कुंडली का
केमद्रुम योग भी भंग हो कर राजयोग में परिवर्तित हो रहा है
1. चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी सूर्य गुरु से दृष्ट है।
2. लग्नेश बुध,
पंचमेश शुक्र की युति चंद्रमा अधिष्ठित
राशि के स्वामी सूर्य से है जिसका गुरु से पूर्ण सप्तम दृष्टि संबंध है।
प्रसिद्ध ज्योतिषी एच. एन. काटवे
इनकी
कुंडली में भी केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में बदल गया है।
1. चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी शुक्र, लग्नेश गुरु
से युति
कर रहा है।
2. सप्तमेश
बुध, नवमेश सूर्य
से युति
कर रहा है।
केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने हेतु कुछ उपाय
सोमवार को
पूर्णिमा के दिन अथवा सोमवार को चित्रा नक्षत्र के समय से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा का
व्रत रखें|
सोमवार के दिन
भगवान शिव
के मंदिर जाकर शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं व पूजा करें|
भगवान शिव ओर माता
पार्वती का पूजन करें| रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी
मंत्र ” ऊँ नम: शिवाय” का जप करें ऎसा करने से केमद्रुम योग के अशुभ फलों में कमी आएगी|
घर में
दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके नियमित रुप से श्रीसूक्त का पाठ करें|
दक्षिणावर्ती शंख
में जल भरकर उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं तथा चांदी के
श्रीयंत्र में मोती धारण करके उसे सदैव अपने पास रखें या धारण करें|
Anju Anand ©To be conti………
Anju Anand ©To be conti………
nice and important information
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