आजकल के पंडितों के अनुसार
जो गृहस्थ जीवन बिताते हैं वे स्मार्त होते हैं और कंठी माला धारण करने वाले साधू संत वैष्णव होते हैं | जबकि ऐसा नहीं है
जो व्यक्ति श्रुति स्मृति में
विश्वास रखता है.
पंचदेव अर्थात ब्रह्मा , विष्णु , महेश , गणेश ,
उमा को मानता है ,
वह स्मार्त हैं।
प्राचीनकाल में अलग-अलग देवता को मानने वाले संप्रदाय अलग-अलग थे। श्री आदिशंकराचार्य द्वारा यह प्रतिपादित किया गया कि सभी देवता ब्रह्मस्वरूप हैं तथा जन साधारण ने उनके द्वारा बतलाए गए मार्ग को अंगीकार कर लिया तथा स्मार्त कहलाए।
जो किसी वैष्णव सम्प्रदाय के
गुरु या धर्माचार्य से विधिवत दीक्षा लेता है तथा गुरु से कंठी या तुलसी माला गले में
ग्रहण करता है या तप्त मुद्रा से शंख चक्र का निशान गुदवाता है । ऐसे व्यक्ति ही वैष्णव
कहे जा सकते है अर्थात वैष्णव को सीधे शब्दों में कहें तो गृहस्थ से दूर रहने वाले
लोग
|
वैष्णव धर्म या वैष्णव
सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है। इस सम्प्रदाय के प्रधान
उपास्य देव वासुदेव हैं,
जिन्हें छ: गुणों ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज से
सम्पन्न होने के कारण भगवान या ‘भगवत’ कहा
गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं।
इस सम्प्रदाय की पांचरात्र संज्ञा के
सम्बन्ध में अनेक मत व्यक्त किये गये हैं।
‘महाभारत’के अनुसार चार वेदों और सांख्ययोग के समावेश के कारण यह नारायणीय महापनिषद
पांचरात्र कहलाता है।
नारद पांचरात्र के अनुसार
इसमें ब्रह्म,
मुक्ति, भोग, योग और
संसार–पाँच विषयों का ‘रात्र’ अर्थात ज्ञान होने के कारण यह पांचरात्र है।
‘ईश्वरसंहिता’,
‘पाद्मतन्त’, ‘विष्णुसंहिता’ और ‘परमसंहिता’ ने भी इसकी
भिन्न-भिन्न प्रकार से व्याख्या की है।
‘शतपथ ब्राह्मण’के अनुसार सूत्र की पाँच रातों में इस धर्म की व्याख्या की गयी थी,
इस कारण इसका नाम पांचरात्र पड़ा।
इस धर्म के ‘नारायणीय’, ऐकान्तिक’ और ‘सात्वत’ नाम भी प्रचलित रहे हैं।
प्रायः पंचांगो में एकादशी
व्रत ,
जन्माष्टमी व्रत स्मार्त जनों के लिए पहले दिन और वैष्णव लोगों के
लिए दुसरे दिन बताया जाता है । इससे जनसाधारण भ्रम में पड जाते हैं । दशमी तिथ का
मान ५४ घटी से ज्यादा हो तो वैष्णव जन द्वादशी तिथी को व्रत रखते हैं । अन्यथा
एकादशी को ही रखते है । इसी तरह स्मार्त जन अर्ध्दरात्री को अष्टमी पड रही हो तो
उसी दिन जन्माष्टमी मनाते है । जबकी वैष्णवजन उदया तिथी को जन्माष्टमी मनाते हैं ,
एवं व्रत भी उसी दिन रखते है ।
धन्यावाद गुरु जी
ReplyDeleteधन्यवाद गुरू जी|
ReplyDeleteइन मतो के कारण लोग तो भ्रम में पड़ते है
ReplyDeleteगुरू देव समाधान करावे
इन मतो के कारण लोग तो भ्रम में पड़ते है
ReplyDeleteगुरू देव समाधान करावे
उत्तम व्याख्या
ReplyDeleteकरता गृहस्थ में रहने वाले वैष्णव नहीं होते?
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