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नवग्रहों के मंत्र


ग्रह


नवग्रहों के मूल मंत्र
नवग्रहों के बीज मंत्र
नवग्रहों के वेद मंत्र
सूर्य
  सूर्याय नम:
ह्रां ह्रीं ह्रौं : सूर्याय नम:
आकृष्णेन रजसा वर्त्तमानो निवेशयन्नमृतं मतर्य हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन॥  इदं सूर्याय मम॥
चन्द्र 
चन्द्राय नम:
श्रां श्रीं श्रौं : चन्द्राय नम:
इमं देवाSसपत् ग्वं सुवध्वम् महते क्षत्राय महते ज्येष्ठयाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रमुष्यै पुत्रमस्यै विश एष  वोSमी राजा सोमोSस्माकं ब्राह्मणानां ग्वं राजा॥ इदं चन्द्रमसे मम॥
गुरू
गुरवे नम:
ग्रां ग्रीं ग्रौं : गुरवे नम:
बृहस्पते अति यदर्यो अहार्द् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम॥ इदं बृहस्पतये, इदं मम॥
शुक्र
   शुक्राय नम:
द्रां द्रीं द्रौं : शुक्राय नम:
अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय:
सोमं प्रजापति: ॠतेन सत्यमिन्द्रियं पिवानं ग्वं
शुक्रमन्धसSइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोSमृतं मधु॥ इदं शुक्राय, मम।
मंगल 
भौमाय नम:
क्रां क्रीं क्रौं : भौमाय नम:
  अग्निमूर्द्धा दिव: ककुपति: पृथिव्या अयम्।
  अपा ग्वं रेता ग्वं सि जिन्वति। इदं भौमाय, इदं मम॥
बुध 
बुधाय नम:
ब्रां ब्रीं ब्रौं : बुधाय नम:
उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहित्वमिष्टापूर्ते ग्वं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत॥ इदं बुधाय, इदं मम॥
शनि 
   शनये नम:  / शनिचराय नम:
प्रां प्रीं प्रौं : शनये नम:
शन्नो देविरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्योरभिस्त्रवन्तु : इदं शनैश्चराय, इदं मम॥
राहु 
राहवे नम:
भ्रां भ्रीं भ्रौं : राहवे नम:
कयानश्चित्र भुवद्वती सदा वृध: सखा।
कया शचिंष्ठया वृता॥ इदं राहवे, इदं मम॥
केतु
केतवे नम:
स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं : केतवे नम:
केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपेशसे। समुषदभिरजा यथा: इदं केतवे, इदं मम॥                                   अंजु आनंद
                                                         

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