चैत्र (वासंतिक नवरात्र) नवरात्र का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होता है. ये प्रतिपदा 'सम्मुखी' शुभ होती है |नवरात्रोंके आरम्भ में अमायुक्त प्रतिपदा अच्छी नहीं मानी जाती। आरम्भ में घटस्थापन के समय यदि चित्रा और वैधृति हो तो उनका त्याग कर देना चाहिये; क्योंकि चित्रा में धन का और वैधृति में पुत्र का नाश होता है । घटस्थापन का समय ’ प्रातःकाल ’ है । अतः उस दिन चित्रा या वैधृति रात्रि तक रहें ( और रात्रिमें नवरात्रोंका स्थापन या आरम्भ होता नहीं, ) तो या तो वैधृत्यादि के आद्य तीन अंश त्यागकर चौथे अंश में करे या मध्याह्लके समय ( अभिजित मुहूर्तमें ) स्थापन करे । स्मरण रहे कि देवीका आवाहन, प्रवेशन, नित्यार्चन और विसर्जन – ये सब प्रातःकालमें शुभ होते हैं ।
इस नवरात्रि को उत्तर और मध्य भारत में पूरी धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र मास के नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन के साथ यह पर्व सम्पन्न होता है। चैत्र नवरात्र 31 मार्च से 8 अप्रैल तक चलेंगे| नवरात्र पर्व पर मां की आराधना करने से वह प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि प्रदान करती हैं|
इस दिन से दुर्गा सप्तशती या रामायण का नौ-दिवसीय पाठ आरंभ करें।
नवरात्र आरम्भ होने पर इस दिन कलश स्थापना के साथ ही माँ दुर्गा की पूजा शुरू की जाती है। माता दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल के मध्य में स्थापित की जाती है. दायीं और महालक्ष्मी, श्री गणेश की प्रतिमा लगाई जाती है. बाईं ओर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है.
यह नवरात्रि पर्व शक्ति की शक्तियों को जगाने का आह्वान है, ताकि हम पर देवी की कृपा हो, और हम शक्ति-स्वरूपा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद अर्जित कर सकें। हम सभी संकट, रोग, दुश्मन व प्राकृतिक-अप्राकृतिक आपदाओं से बच सकें। हमारे शारीरिक तेज में वृद्धि हो, मन निर्मल हो। हमें सपरिवार दैवीय शक्तियों का लाभ मिल सकें।
इस दिन से दुर्गा सप्तशती या रामायण का नौ-दिवसीय पाठ आरंभ करें।
भगवान श्रीराम का जन्म पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र में हुआ था।
चैत्र, शुक्लपक्ष, प्रतिपदा, मार्च 31, 2014, सोमवार
कलश स्थापन मुहुर्त: 06:17:24 से 10:23:57
अवधि: 04 घंटे 06 मिन्ट्स
अभिजीत मुहूर्त : 12:03 से 12:52
अवधि: 0 घंटे 49 मिन्ट्स
राहुकाल : 7:43 am-9:12 am
वर्ज्य : 12:59 pm-2:28 pm
दुर्मुहूर्त : 12:48 pm-1:37 pm, 3:12 pm-3:58 pm
यमगण्ड : 10:48 am-12:20 pm
अमृतकाल : 10:11 pm-11:39 pm
वर्ष : जय (1936)
तिथि : प्रतिपदा 10:26 pm
नक्षत्र : रेवती 12:30 am+
योग : इन्द्र 12:05 am+
कारण : किम्स्तुग्न 11:17 am, बव 10:26 pm
सूर्यराशि : मीन,
चंद्रराशि : मीन
सूर्योदय : 6:09 am,
सूर्यास्त : 6:24 pm,
चंद्रोदय : 6:19 am
No comments:
Post a Comment
We appreciate your comments.