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होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम


होलिका दहन मुहूर्त: अंजु आनंद
20 मार्च 2019 बुधवार
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 20 मार्च 2019 प्रातः 10:44 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 21 मार्च- 2019 प्रातः 07:12 बजे
भद्रा (विष्टि करण) प्रात:10.44 बजे से रात्रि 8.59 बजे तक
भद्रा पूंछ -17:24 से 18:25 बजे तक
भद्रा मुख - 18:25 से 20:07 बजे तक
होलिका-दहन मुहूर्त - 9 बज कर 28 मिनट से रात्रि 11:58 तक

होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। होलिका दहन रंगोत्सव की पूर्व सन्ध्या पर पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में किया जाता है। शास्त्रीय नियमों के अनुसार होलिका दहन के समय भद्रा नहीं होनी चाहिए। भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि ऐसा योग नहीं बैठ रहा हो तो भद्रा समाप्त होने पर होलिका दहन किया जा सकता है। और अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंग अर्थात दुलेन्दि का पर्व मनाया जाता है।
होलिका दहन में आहुतियाँ देना बहुत ही जरुरी माना गया है इसलिए होलिका दहन में आहुतियाँ जरुर दें।
ऐसा माना जाता है कि पूजा में जलती होली में दिया गया ये भाग सीधे भगवान तक जाता है।
होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर. आदि की आहुति दी जाती है।

अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:


होलिका दहन में आहुति देने के पश्चात् सुबह प्रभु को रंग लगा कर होली खेलने का शुभारम्भ करिये होली खेलना वर्ष पर्यन्त आपको खुश रखता है।

होली के इस पावन पर्व को नवसंवत्सर का आगमन तथा वसंतागम के उपलक्ष्य में किया हु‌आ यज्ञ भी माना जाता है। वैदिक काल में इस होली के पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ कहा जाता था। पुराणों के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि जब भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से होली का प्रचलन हु‌आ।
मान्यता है कि होलिका दहन के समय उसकी उठती हुई लौ से समाज और वातावरण के आने वाले समय के बारे कई संकेत मिलते हैं। होलिका की लौ से ज्ञात कर सकते हैं के आने वाला समय समाज और जनसाधारण के लिए कैसा रहेगा
होलिका की अग्नि की लौ का पूर्व दिशा ओर उठना कल्याणकारी होता हैदक्षिण की ओर पशु पीड़ापश्चिम की ओर सामान्य और उत्तर की ओर लौ उठने से बारिश होने की संभावना रहती है। 

होलिका दहन की रात्रि को तंत्र साधना एवं तांत्रिक क्रियाओं की दृष्टि से हमारे शास्त्रों में महत्वपूर्ण माना गया है। तंत्र साधना व लक्ष्मी प्राप्ति के साथ साथ खुद पर किये गए तंत्र मंत्र के प्रतिरक्षण हेतु भी होली की रात्रि सबसे उपयुक्त मानी गई है।
          
होली के दिन तुलसी माला से निम्न मंत्र का पांच माला जाप करने से लाभ होता है।
राम रामेति रामेति रामे रामे मनोरमे। 
सहस्त्र नाम तत्तुल्यं राम नामं वारानने।।

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