हिन्दू पंचांग के अनुसार सम्वतसर के दसवें मास को पौष मास कहा जाता है। पौष मास का आरम्भ दिसंबर की सौर संक्रांति (धनु संक्रांति) से होता है पौष मास को खर मास भी कहते हैं। इसे मल मास काला महीना भी कहा जाता है।
खर मास के दौरान हिन्दू जगत में कोई भी धार्मिक कृत्य और शुभ-मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। कहा जाता है कि पौष मास में सूर्यदेव के पूजन से मान-सम्मान और यश में वृद्धि होती है पौष मास में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। इस मास में सूर्य देव की उपासना भग नाम से की जाती है। आदित्य पुराण अनुसार पौष माह में तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन व लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य मंत्र का जाप किया जाता है तथा व्रत रखकर सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।

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