भद्रबाहुसंहिता के अनुसार आषाढ़ मास में बृहस्पति का राशि परिवर्तन हो तो राज्य वालों को क्लेश, मुख्य मंत्रियों को शारीरिक कष्ट, ईति भीति,
वर्षा का अवरोध, फसल की
क्षति, नए प्रकार
की क्रांति एवं पूर्वोत्तर प्रदेशों में उत्तम वर्षा होती है |दक्षिण के
प्रदेशों में भी अच्छी वर्षा होती है मलवार में फसल में कुछ कमी रह जाती है गेहूं, धान, जौ
और
मक्काकी उपज सामान्यता अच्छी होती है
मघा और पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्रों में गुरु
के होने से सुभिक्ष, क्षेम और
आरोग्य होते हैं
उत्तराफाल्गुनी
और हस्त में
अच्छी वर्षा, जनता
को सुख एवं सर्वत्र क्षेम
- आरोग्य व्याप्त रहता है
सिंह राशि का
बृहस्पति श्रावणसार
संवत्सर होता है इसमें
वर्षा अच्छी होती
है, फसल भी उत्तम होती
है | घी दूध और रसों
की उत्पत्ति अत्यधिक
होती है फल पुष्पों की उत्पति
अच्छी होने से विश्व में
शान्ति और सुख दिखलायी पड़ता है धान्य की
फसल अच्छी होती
है नए नेताओं
की उत्पति होने
से देश का नृत्व नए
व्यक्तियों के हाथ
में चला जाता
है जिससे देश
की प्रगति ही
होती है | व्यापारियों
के लिए यह वर्ष उत्तम
होता है सभी वस्तुओं के व्यापर
से लाभ होता
है
सिंह में
गुरु के होने पर
चौपाये महंगे होते
हैं सोना चांदी
घी तेल गेहूं
चावल महंगा होता
है चातुर्मास
में वर्षा अच्छी
होती है कार्तिक
ओर पौष महीनों
में अनाज महंगा
हो जाता है अवशेष महीनो
में अनाज का भाव सस्ता
रहता है सोना चाँदीआदि धातुएं कार्तिक
से माघ तक महंगी रहती
हैं अवशेष महीनों
में भाव कुछ नीचे गिर
जाते हैं | यों
सोने के व्यापारियों
के लिए यह वर्ष बहुत
अच्छा है गुड चीनी के
व्यापार में घाटा
होता है | वैशाख
मास से श्रावण
मास तक गुड का
भाव कुछ तेज
रहता है अवशेष
महीनों में सामर्घता
रहती है | स्त्रियों
के लिए यह बृहस्पति अच्छा नहीं
है, स्त्री धर्म
सम्बन्धी अनेक बीमारियाँ
उत्त्पन्न होती हैं
तथा कन्यायों को
चेचक अधिक निकलती
है | सर्व साधारण
में आनंद,उत्साह
और हर्ष की लहर दिखलाई
पड़ती है |
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