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शनि साढेसाती तथा शनि सवारी फल

शास्त्रो मे कहा गया है कि शनिदेव एकमात्र ऐसे देव हैं जिनके नौ वाहन है | इन 9 वाहनों में विराजित शनिदेव की पूजा करने से अलग-अलग फल मिलता है। इसलिए आराधना के लिए जरूरी है उनके सही रूप को जानना। शनिदेव चाहे मूर्ति रूप में हों या शिला रूप में, हर रूप में भक्तों को वरदान देते हैं। शनि की साढेसाती के दौरान शनि जिस वाहन पर सवार होकर जातक की कुण्डली मे प्रवेश करते है | उसी के अनुरुप शनि जातक को इस अवधि मे फल देते है | श्री शनि चालीसा मे भी उल्लेख है :
वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥

वैसे तो शनिदेव का सबसे प्रमुख वाहन गिद्ध है। जो कि भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ का छोटा भाई है। लेकिन इसके अलावा घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, हिरण और मोर को भी उनका वाहन बताया गया है। यमराज के भाई होने की वजह से उनका एक और वाहन भैंसा है।
मान्यता है कि शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर जिस भक्त के पास जाते हैं। उसे उस वाहन के अनुसार फल भी मिलता है। शास्त्रों में कहा गया है कि हर वाहन विशेष इच्छा और फल के लिए उत्तरदायी होता है, और अगर शनिदेव की उस वाहन पर पूजा कर ली जाए तो शनि तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
शनि साढ़ेसाती के समय निम्न विधि से वाहन का निर्धारण किया जाता है:
शनि सवारी निर्धारण का तरीका – 1 
जातक के जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड कर योगफल को नौ से भाग करें, शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है |
एक अन्य विधि के अनुसार
शनि सवारी निर्धारण का तरीका  2
शनि के राशि प्रवेश करने कि तिथि संख्या+ ऩक्षत्र संख्या + वार संख्या + जातक के नाम का प्रथम अक्षर संख्या सभी को जोडकर योगफल को 9 से भाग किया जाता है | शेष संख्या शनि का वाहन बताती है | दोनो विधियो मे  शेष 0 बचने पर संख्या नौ समझनी चाहिए | 
उदाहरण स्वरूप, मान लें,
 गोचर में शनि वृश्चिक राशि में विशाखा नक्षत्र में चल रहे हैं और जातक का जन्म नक्षत्र है पूर्व फाल्गुनी तो पूर्व फाल्गुनी से विशाखा तक गिनने पर संख्या आई =6
तिथि शुकल एकादशी = 11
वार रविवार तो वार संख्या हुई 0
मान  लीजिये जातक का नाम है अर्जुन तो नाम का पहला अक्षर हुआ A संख्या आई 1
 योग हुआ = 18
 नौ से भाग  देंने पर शेष बचा 0
 जिसके अनुसार शनि सवारी बनी :  हंस: जो दर्शाता है --- लाभजयसफलता

इस प्रकार शनि की प्रकृति और गोचर में स्थिति देखकर समझकर समय रहते शनि प्रकोप के निवारण का यथोचित उपाय कर सकते

विशेष:  शेष संख्या 0 आने पर सँख्या 9 समझनी चाहिए और शनि का वाहन हँस समझना चाहिए|

1. शनि सवारी गधा: दुःख, वाद-विवाद
अगर शेष संख्या 1 होने पर शनि गधे पर सवार होते है | जातक के लिए शनि का वाहन गधा होने पर शनि की साढेसाती मे मिलने वाले शुभ फलो मे कमी होती है | शनि के इस वाहन को शुभ नही कहा गया है | शनि की साढेसाती की अवधि मे जातक को कार्यो मे सफलता प्राप्त करने के लिए काफी प्रयास करना होता है | जातक को  इस स्थिति मे मेहनत के अनुरुप ही फल मिलते है | इसलिए जातक का अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता है

2. शनि सवारी  घोडा : सुख, संपत्ति,  यात्रा
शेष सँख्या 2 होने पर शनि घोडे पर सवार होते है | शनि का वाहन घोडा होने पर जातक को शनि की साढेसाती मे शुभ फल मिलते है | इस दौरान जातक समझदारी व अक्लमंदी से काम लेते हुए अपने शत्रुओ पर विजय हासिल करता है | व जातक अपने बुद्धिबल से अपने विरोधियों को परास्त करने मे सफल रहता है | घोडे को शक्ति का प्रतिक माना गया है इसलिए इस अवधि मे जातक के उर्जा व जोश मे बढोतरी होती है |

3. शनि सवारी  हाथी : उत्तम भोजन, सुख, लाभ
शेष सँख्या 3 होने पर शनि को हाथी पर सवार कहा गया है , जिस जातक के लिए शनि का वाहन हाथी होता है | उस जातक के लिए शनि के वाहन को शुभ नही कहा गया है | इस अवधि मे आशा के विपरित फल मिलते है | इस स्थिति मे जातक को साहस व हिम्मत से काम लेना चाहिए | तथा विपरित परिस्थितियों मे भी घबराना नहीं चाहिए | 

4. शनि सवारी  भैसा : विपरीत, असफलता, रोग
शेष सँख्या 4 होने पर शनि को भैसे पर सवार बताया गया है | शनि का वाहन भैंसा आने पर जातक को मिलेजुले फल मिलते है | शनि की साढेसाती की अवधि मे जातक को संयम व होशियारी से काम करना चाहिए | इस समय मे अधीर व व्याकुल होना जातक के हित मे नही होता है | जातक को इस समय मे सावधानी से काम करना चाहिए | अन्यथा कटु फलो मे वृ्द्धि होने की संभावना होती है |

5. शनि सवारी  सिंह : विजय, लाभ, सफलता
शेष सँख्या 5 होने पर शनि सिंह पर सवार होते है | शनि का वाहन सिँह जातक को शुभ फल देता है सिँह वाहन होने पर जातक को समझदारी व चतुराई से काम लेना चाहिए ऎसा करने से जातक अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त करने मे सफल होता है अत इस अवधि मे जातक को अपने विरोधियोँ से घबराने की जरुरत नही होती है |

6. शनि सवारी सियार: भय, कष्ट
शेष सँख्या 6 होने पर शनि सियार पर सवार माने गये है | शनि की साढेसाती के आरम्भ होने पर शनि का वाहन सियार होने पर जातक को मिलने वाले फल शुभ नही होते है इस स्थिति मे जातक को साहस व हिम्मत से काम लेना चाहिए क्योकि इस दौरान जातक को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बनती है |

7. शनि सवारी कौआ : चिंता, मानसिक कष्ट
शेष सँख्या 7 होने पर शनि का वाहन कौआ कहा गया है | साढेसाती की इस अवधि मे कलह बढती है | जातक के लिए शनि का वाहन कौआ होने पर उसे शान्ति व सँयम से काम लेना चाहिए परिवार मे किसी मुद्दे को लेकर विवाद व कलह की स्थिति को टालने का प्रयास करना चाहिए ज्यादा से ज्यादा बातचीत कर बात को बढने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए इससे कष्टो मे कमी होती है

8. शनि सवारी मोर  : सुख एवं लाभ
शेष सँख्या 8 होने पर शनि को मोर पर सवार बताया गया है | शनि का वाहन मोर जातक को शुभ फल देता है इस समय मे जातक को अपनी मेहनत के साथ - साथ भाग्य का साथ भी मिलता है शनि की साढेसाती की इस अवधि मे जातक अपनी होशियारी व समझदारी से परेशानियों को कम करने मे सफल होता है इस दौरान जातक मेहनत से अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुधार पाता है

9. शनि सवारी हंस  : लाभ, जय, सफलता
शेष सँख्या 9 होने पर शनि का वाहन हँस कहा गया है | जिन जातकों के लिए शनि का वाहन हँस होता है उनके लिए शनि की साढेसाती की अवधि बहुत शुभ होती है इस मे जातक बुद्धिमानी व मेहनत से काम करके भाग्य का सहयोग पाने मे सफल होता है यह वाहन जातक के आर्थिक लाभ व सुखो को बढाता है शनि के सभी वाहनो मे इस वाहन को सबसे अधिक अच्छा कहा गया है|

शनि साढेसाती तथा शनि सवारी फल
जिस जातक को शनि की साढेसाती के चरण के फल अशुभ मिल रहे है तथा शनि का वाहन भी शुभ नही है तो इस स्थिति मे साढेसाती के दौरान जातक को विशेष रुप से सावधान रहना चाहिए इस स्थिति मे जातक के सामने अनेक चुनोतियाँ आती है जिनका जातक को हिम्मत के साथ सामना करना चाहिए
अगर किसी जातक को साढेसाती के अशुभ फल मिल रहे हो तथा शनि का वाहन शुभ हो तो इस स्थिति मे साढेसाती के कष्टो मे कमी आती है और जातक को मिला जुला फल मिलता है
जिस जातक के लिए शनि का वाहन शुभ हो तथा साढेसाती के चरण के फल भी शुभ हो तो इस स्थिति मे शुभता बढ जाती है पर साढेसाती का चरण शुभ तो और वाहन का फल अशुभ आ रहा हो तो जातक को मिलजुले फल मिलते है
शनि का वाहन कुछ जातकों के लिए शुभ फलकारी है तथा कुछ के लिए अशुभ फल देने वाला होता है प्रत्येक जातक के लिए शनि के फल अलग अलग हो सकते है |

ढैया व साढ़े-साती के फलित का निष्कर्ष शनि की सही स्थिति का अवलोकन करने के बाद ही निकालना चाहिए । शनि की ढैया या साढ़े-साती का फल कई बातों पर निर्भर करता है जैसे- जन्म-पत्रिका में शनि की चंद्र से सापेक्ष दूरी पर।
जन्म-पत्रिका में शनि की स्थिति पर।
जन्म-पत्रिका व गोचर में ग्रहों की तुलनात्मक स्थिति।
पाद, वेध और प्रतिवेध पर।
शनि अष्टकवर्ग में विभिन्न भावों को मिली रेखाओं एवं अशुभ बिंदुओं पर।
जातक की दशा-अंतर्दशा पर।
जन्म-कुंडली में शनि की नवांश में स्थिति पर।
जन्म-कुंडली में शनि के षड्बल में बल पर।
पूर्व जन्म व वर्तमान जन्म के कर्मों के फल पर।
निम्न-वर्ग के साथ व्यवहार पर।
दैनिक जीवन में सत्य व न्याय
रत्न की धारण स्थिति पर।










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