1.रविवार
को प्रतिपदा, चतुर्थी, षष्ठी, सप्तमी अथवा
द्वादशी तिथि में
अगर पुष्य, हस्त, उत्तरफाल्गुनी, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र आये तो सिद्ध
योग बनता है|
2.सोमवार को भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी) में अगर रोहिणी, मृ्गसिरा, पुनर्वासु,
चित्रा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिशक अथवा
पूर्वभाद्रपद नक्षत्र
आये तो सिद्ध योग बनता है|
3.मंगलवार को नन्दा (प्रतिपदा, सष्टि, एकादशी) या भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी )
में अगर अश्विनी , मृ्गसिरा, उत्तर फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, मूल, धनिष्ठा अथवा पूर्व भाद्रपद नक्षत्र आये तो सिद्ध योग बनता है|
में अगर अश्विनी , मृ्गसिरा, उत्तर फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, मूल, धनिष्ठा अथवा पूर्व भाद्रपद नक्षत्र आये तो सिद्ध योग बनता है|
4.बुधवार को भद्रा (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी) अथवा जया तिथि(तृतीया,अष्टमी,त्रयोदशी) में अगर रोहिणी, मृगसिरा, आर्द्रा, उत्तर
फाल्गुनी, अनुराधा अथवा
उत्तराषाढ़ा आये तो सिद्ध योग बनता है|
5.गुरूवार
को चतुर्थी,पंचमी, सप्तमी, नवमी,त्रियोदशी तिथि
में अगर अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, स्वाति, पूर्वषाढ़ा, पूर्वभाद्रपद, अथवा रेवती
आये तो सिद्ध योग बनता है|
6.शुक्रवार को नन्दा(प्रतिपदा, सष्टि, एकादशी) अथवा भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी ) में अगर अश्विन, भरणी, आर्द्रा, उत्तर फाल्गुनी,
चित्रा, स्वाति, पूर्वषाढ़ा, अथवा रेवती नक्षत्र आये तो सिद्ध योग बनता है|
7.शनिवार को भद्रा (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी) अथवा रिक्ता तिथि(चतुर्थी,नवमी,चतुर्दशी) में अगर रोहिणी, स्वाति,
विशाखा, अनुराधा, धनिष्टा अथवा
शतभिशक नक्षत्र
आये तो सिद्ध योग बनता है|
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