जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि भी कहा गया है। कहते हैं इस रात को जिसने
श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए उनका नाम जप लिया, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती
हैं, इस पर्व का वैदिक ज्योतिष में भी बहुत महत्त्व है। आज के दिन कही गयी पूजा अर्चना उपवास आदि संतान सुख प्राप्त करने में विशेष लाभकारी होते हैं।
कहने को तो कृष्ण अजन्मा है, अवनाशी है, सर्वयापी है पर उसके भक्त हर साल जन्माष्टमी को उसकी जयंती मनाते है।
कृष्ण अव्यक्त होते हुए भी व्यक्त ब्रह्म थे। मूलत: वे नारायण थे। वे स्वयंभू तथा संपूर्ण जगत के प्रपितामह थे। द्युलोक उनका मस्तक, आकाश नाभि, पृथ्वी रचण, अश्विनीकुमार नासिकास्थान, चंद्र और सूर्य नेत्र तथा विभिन्न देवता विभिन्न देहयष्टियां हैं। वे (ब्रह्म रूप) ही प्रलयकाल के अंत में ब्रह्मा के रूप में स्वयं प्रकट हुए तथा सृष्टि का विस्तार किया। रुद्र इत्यादि की सृष्टि करने के उपरांत वे लोकहित के लिए अनेक रूप धारण करके प्रकट होते रहे।
ये दिन उनके लिए खास तौर पर खुशियां लेकर आता है जो वंश की चिंता में घुले जा रहे हैं।
जन्माष्टमी पर वंश वृद्धि का आशीर्वाद भगवान अपने भक्तों को देना नहीं भूलते। बस उन्हें खास मंत्रों का जाप करना होता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर यथा शक्ति इस मंत्र "क्लीं कृष्णाय नमः" का जाप करें।
संतान प्राप्ति के लिए
निसंतान दम्पतियों को विशेषत: जन्माष्टमी के दिन संतान गोपाल यन्त्र की स्थापना करके " ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।" मंत्र का यथा संभव जाप करना चाहिए।
शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए घर में श्रीकृष्ण के बालस्वरूप लड्डूगोपालजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। अनेक पुराणों में वर्णित संतान प्राप्ति का यह सबसे सहज उपाय है। सुंदर संतान के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें। पति-पत्नी दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ ‘संतान गोपाल मंत्र’ का नित्य 108 बार जप करना चाहिए।
घर में कलह क्लेश दूर करने के लिए
कृष्णायवासुदेवायहरयेपरमात्मने। प्रणतक्लेशनाशायगोविन्दायनमोनम:
कृष्णाष्टमी का व्रत करने वालों के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ इस मंत्र का अधिकाधिक जप करें।
मनपसन्द साथी से विवाह की इच्छा के लिए
क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा। ( लड़को के लिए )
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।। (कन्याओं के लिए )
विवियान में अड़चन हो या प्रेम विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
गुरु कृपा के लिए
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरूम्।।
मोक्ष प्राप्ति के लिए
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।।
कहने को तो कृष्ण अजन्मा है, अवनाशी है, सर्वयापी है पर उसके भक्त हर साल जन्माष्टमी को उसकी जयंती मनाते है।
कृष्ण अव्यक्त होते हुए भी व्यक्त ब्रह्म थे। मूलत: वे नारायण थे। वे स्वयंभू तथा संपूर्ण जगत के प्रपितामह थे। द्युलोक उनका मस्तक, आकाश नाभि, पृथ्वी रचण, अश्विनीकुमार नासिकास्थान, चंद्र और सूर्य नेत्र तथा विभिन्न देवता विभिन्न देहयष्टियां हैं। वे (ब्रह्म रूप) ही प्रलयकाल के अंत में ब्रह्मा के रूप में स्वयं प्रकट हुए तथा सृष्टि का विस्तार किया। रुद्र इत्यादि की सृष्टि करने के उपरांत वे लोकहित के लिए अनेक रूप धारण करके प्रकट होते रहे।
ये दिन उनके लिए खास तौर पर खुशियां लेकर आता है जो वंश की चिंता में घुले जा रहे हैं।
जन्माष्टमी पर वंश वृद्धि का आशीर्वाद भगवान अपने भक्तों को देना नहीं भूलते। बस उन्हें खास मंत्रों का जाप करना होता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर यथा शक्ति इस मंत्र "क्लीं कृष्णाय नमः" का जाप करें।
संतान प्राप्ति के लिए
निसंतान दम्पतियों को विशेषत: जन्माष्टमी के दिन संतान गोपाल यन्त्र की स्थापना करके " ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।" मंत्र का यथा संभव जाप करना चाहिए।
शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए घर में श्रीकृष्ण के बालस्वरूप लड्डूगोपालजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। अनेक पुराणों में वर्णित संतान प्राप्ति का यह सबसे सहज उपाय है। सुंदर संतान के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें। पति-पत्नी दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ ‘संतान गोपाल मंत्र’ का नित्य 108 बार जप करना चाहिए।
श्रेष्ठ पुत्र संतान की प्राप्ति के
लिए -
" देवकी सुत वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्णं त्वामहं शरणम् गत:"।। मंत्र का जाप करना चाहिए।
" देवकी सुत वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्णं त्वामहं शरणम् गत:"।। मंत्र का जाप करना चाहिए।
भगवान कृष्ण की आराधना के लिए मंत्र
ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषां पते!
नमस्ते रोहिणी कान्त अघ्र्य में प्रतिगृह्यताम्!!
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'
शीघ्र विवाह के लिए
ओम् क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
इन मंत्रों की एक माला (108 मंत्र) जाप करें।
ॐ नमो भगवते वासु देवाय का जाप अथवा श्री कृष्णावतार की
कथा का श्रवण करें।
जिन
परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति
का वातावरण
हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने
के साथ इस मंत्र
का अधिकाधिक
जप करें-
कृष्णायवा सुदेवायहरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥
उपर्युक्त
मंत्र का नित्य जाप करते हुए सच्चिदानंदघन श्रीकृष्ण की आराधना करें।
इससे परिवार
में खुशियां
वापस लौट आएंगी। घर में विवाद
और विघटन
दूर होगा।
शत्रु बाधा शान्ति प्रयोग
ॐ श्रींकृष्णायै असुराक्रांत भारहारिणी नम:
इस मन्त्र की पांच माला पूजा के स्थान पर बैठ कर सम्पन्न करने से प्रबल से प्रबल शत्रु भी शांत हो जाता है |
शत्रु बाधा शान्ति प्रयोग
ॐ श्रींकृष्णायै असुराक्रांत भारहारिणी नम:
इस मन्त्र की पांच माला पूजा के स्थान पर बैठ कर सम्पन्न करने से प्रबल से प्रबल शत्रु भी शांत हो जाता है |
घर में कलह क्लेश दूर करने के लिए
कृष्णायवासुदेवायहरयेपरमात्मने। प्रणतक्लेशनाशायगोविन्दायनमोनम:
कृष्णाष्टमी का व्रत करने वालों के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ इस मंत्र का अधिकाधिक जप करें।
मनपसन्द साथी से विवाह की इच्छा के लिए
क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा। ( लड़को के लिए )
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।। (कन्याओं के लिए )
विवियान में अड़चन हो या प्रेम विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
गुरु कृपा के लिए
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरूम्।।
मोक्ष प्राप्ति के लिए
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।।
राशि के अनुसार जन्माष्टमी के विशिष्ट उपाय और
मंत्र-
मेष : पूजा में लाल चन्दन और लाल पुष्पों का प्रयोग करें।
मेष : पूजा में लाल चन्दन और लाल पुष्पों का प्रयोग करें।
ॐ त्रिक-कुब्धाम नम: या स्थविष्ठ नम:| या
ॐ क्लीं श्रीं लक्ष्मीनारायणाय नम:। मंत्र का जाप करें ।
वृष : सफ़ेद या गुलाबी पोशाक बालगोपाल को पहनायें और मंदिर में रंगोली बनायें।
ॐ गोपालाय उतरध्वाजय नम:। या
ॐ लोहिताक्ष नम: मंत्र
का जाप करें ।
मिथुन: हरे रंग से वस्त्र से मंदिर को सजाये और बालको में मिठाई बाटें।
ॐ क्लीं कृष्णाय नम:। या ॐ चतुरात्मा नम:| मंत्र का जाप करें
ॐ क्लीं कृष्णाय नम:। या ॐ चतुरात्मा नम:| मंत्र का जाप करें
कर्क : मंदिर
में दूध का दान करें और माखन मिश्री का भोग अवश्य लगवायें।
ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरूपिणे नम:| या
ॐ सत्कर्ता नम: मंत्र का जाप करें ।
ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरूपिणे नम:| या
ॐ सत्कर्ता नम: मंत्र का जाप करें ।
सिंह : मंदिर
के द्वार पर तोरण बांधें और पंजीरी का भोग अवश्य लगवायें।
ॐ क्लीं ब्रब्रह्मणेजगदधराये नम:| या
ॐ असंख्येय नम: मंत्र का जाप करें ।
ॐ क्लीं ब्रब्रह्मणेजगदधराये नम:| या
ॐ असंख्येय नम: मंत्र का जाप करें ।
कन्या : ब्राह्मणों को वस्त्र दान करे और द्वाक्षर मंत्र का जाप करें।
ॐ नम: पीं पीताम्बराय नम:| या ॐ सिद्धकल्प नम:
ॐ नम: पीं पीताम्बराय नम:| या ॐ सिद्धकल्प नम:
मंत्र का जाप करें ।
तुला : पूजा में इतर और अष्टगंध का प्रयोग करना लाभदायक होगा।
ॐ तत्त्व निरंजनाये तारकरमाये नम:| या ॐ शिष्टकृत नम:
तुला : पूजा में इतर और अष्टगंध का प्रयोग करना लाभदायक होगा।
ॐ तत्त्व निरंजनाये तारकरमाये नम:| या ॐ शिष्टकृत नम:
मंत्र का जाप करें
।
वृश्चिक : अपने आध्यात्मिक गुरू या किसी विद्वान का संग रह कर ज्ञानार्जन करें।
ॐ नारायण सुरसिंघे नम:| या ॐ सत्यधर्म-पराक्रम नम:
वृश्चिक : अपने आध्यात्मिक गुरू या किसी विद्वान का संग रह कर ज्ञानार्जन करें।
ॐ नारायण सुरसिंघे नम:| या ॐ सत्यधर्म-पराक्रम नम:
मंत्र
का जाप करें ।
धनु : पीली पोशाक में बालगोपाल को सजाएं और केसर तिलक करे।
ॐ श्रीं देव कृष्णाय उर्ध्वदन्ताय नम:|
धनु : पीली पोशाक में बालगोपाल को सजाएं और केसर तिलक करे।
ॐ श्रीं देव कृष्णाय उर्ध्वदन्ताय नम:|
मंत्र का जाप करें ।
मकर : सफ़ेद चन्दन का तिलक करे और तुलसी की माला पर जाप करे।
ॐ श्रीं वत्सले नम:| या ॐ विश्वात्मा नम:
मकर : सफ़ेद चन्दन का तिलक करे और तुलसी की माला पर जाप करे।
ॐ श्रीं वत्सले नम:| या ॐ विश्वात्मा नम:
मंत्र का जाप करें ।
कुम्भ : पूजा में गुलाब के पुष्पों और नारियल को सम्मिलित करें।
ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नम:| या ॐ निवृतात्मा नम:
कुम्भ : पूजा में गुलाब के पुष्पों और नारियल को सम्मिलित करें।
ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नम:| या ॐ निवृतात्मा नम:
मंत्र का जाप करें
।
मीन : बालगोपाल का श्रृंगार खुद करें। स्फटिक की माला से जाप करे।
ॐ आं क्लीं उध्वातय उद्धारिने नम:| या ॐ वृषपर्वा नम:
मीन : बालगोपाल का श्रृंगार खुद करें। स्फटिक की माला से जाप करे।
ॐ आं क्लीं उध्वातय उद्धारिने नम:| या ॐ वृषपर्वा नम:
Kuch mantras galat hain I can prove it as mantras r copied and that too wrong plz don't take negative but rectify before commencing lord krishna birth tx
ReplyDeleteआपका आभार आप ब्लॉग पर आये
Deleteअगर आपको लगता है ये मन्त्र गलत हैं तो आप ठीक पोस्ट कर दीजिये .
धन्यवाद