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नाग पञ्चमी


नाग पञ्चमी


हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के पञ्चमी को नाग-पञ्चमी के रुप में मनाया जाता है। श्रावण मास का संबंध भगवान शिव से है और शिव का आभूषण सर्प देवता हैं। इस दिन नाग पूजन से नागों के साथ ही भगवान आशुतोष की भी असीम कृपा प्राप्त होती है। इस दिन नाग देवता या सर्पदेव की पूजा की जाती है | हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी को नाग देवता अपने सिर पर रखे हुए हैं।
नाग पञ्चमी पर आमतौर पर पांच पौराणिक नागों की पूजा की जाती है जो क्रमशः: अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक व पिंगल हैं। अनंत (शेष) नाग की शय्या पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। वासुकि नाग को मंदराचल से लपेटकर समुद्र-मंथन हुआ था। पुराणों के अनुसार तक्षक नाग के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हुई थी। नागवंशी कर्कोटक के छल से रुष्ट होकर नारदजी ने उसे शाप दिया था। तब राजा नल ने उसके प्राणों की रक्षा की थी। हिंदू व बौद्ध साहित्य में पिंगल नाग को कलिंग में छिपे खजाने का संरक्षक माना गया है।
नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में नाग पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि श्रद्धालुओं को नासिक के त्र्यंबकेश्वर, औरंगाबाद के घृष्णेश्वर, उज्जैन के महाकालेश्वर या अन्य ज्योतिर्लिंगों में जाकर विधि-विधान से पूजा पाठ करवाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन नाग दर्शन का विशेष महत्व होता है। इस दिन सर्पहत्या की मनाही है।
नाग पञ्चमी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने का दिन है। इस दिन सूर्य कर्क राशि और चंद्रमा कन्या राशि में होता है और कन्या राहू की स्वराशि मानी गयी है, यही कारण है नाग पञ्चमी सर्पजन्य दोषों की शांति के लिए उत्तम दिन माना जाता है। पंचमी तिथि को भगवान आशुतोष भी सुस्थानगत होते हैं। इसलिए इस दिन सर्प शांति के अंतर्गत राहु-केतु का जप, दान, हवन आदि उपयुक्त होता है। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जप, यज्ञ, शिव सहस्रनाम का पाठ, गाय दान करने से नागदेवता की कृपा प्राप्त होती है।

पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है।
इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नाग देव को सुगंध प्रिय है।
ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्पविष दूर होता है।
इस दिन द्रव्य दान करने वाले पुरुष पर कुबेर जी की दयादृष्टि बनती है।
* मान्यता है कि अगर किसी जातक के घर में किसी सदस्य की मृत्यु सांप के काटने से हुई हो तो उसे बारह मास तक पंचमी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत के फल से जातक के कुल में कभी भी सांप का भय नहीं होगा।

इस दौरान पूजन के समय सर्प देवता की स्तुति इस श्लोक से करनी चाहिए−
‘अनन्तम्, वासुकि, शेषम्, पद्मनाभम्, चकम्बलम् कर्कोतकम् तक्षकम्।
पूजन के बाद नाग देवता की आरती जरूर उतारें।

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