महाशिवरात्रि व्रत तिथि - निर्णय विक्रमी स.2074
पद्मपुराण मे लिखा है कि, अर्धरात्र से पहले जया तिथि का योग हो तो शिव की प्रिय शिवरात्रि पूर्वविध्दा ही करनी चाहिए ।
इसलिए उपरोक्त शास्त्र निर्देशानुसार महाशिवरात्रि व्रत 13 फरवरी मंगलवार के दिन ही ग्राह्य होगा ।
शिवरात्रि 2018- पूजा समय
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय= 18:04 से 21:20 (13 फरवरी 2018 )
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय = 21:20 से 00:36 (मध्यरात्रि)
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय = 00:36 (रात्रि) से 03:52(रात्रि)
14th, फरवरी 2017 महा शिवरात्रि पारण समय= सुबह 07:08 से 15:21
भगवान शिव अत्यंत सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं, अत: उन्हें सरलतम तरीकों से ही प्रसन्न किया जा सकता है।
शिवजी की आराधना के लिये कई व्रत हैं, जैसे- सोमवार व्रत, सावन सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि व्रत । इसमें शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है, हर माह की चतुर्दशी तिथि भगवन शिव को समर्पित है और इन सभी चतुर्दशी तिथियों में से फाल्गुन माह में आने वाली चतुर्दशी (शिवरात्रि) को महा शिवरात्रि कहा जाता है
स्कन्दपुराण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिव पूजन, जागरण और उपवास करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है। रात्रि के समय स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं, अत: उपरोक्त समय में पूजन करने से मनुष्यों के पाप दूर हो जाते हैं।
ईशान संहिता में इसकी महत्ता का उल्लेख इस प्रकार है-
शिव पूजन में तीन दलों से युक्त बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है, यह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है|
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर आज बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाएं
गरुड़ पुराण के अनुसार बिल्वपत्र या बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। लेकिन बिल्व पत्र को तोड़ने का मन्त्र अवश्य जान ले
अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ -(आचारेन्दु)
अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।
अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।
शिव पूजन में कदम, केवड़ा, कैथ, बहेड़ा, कपास, जूही, सेमल, अनार आदि पुष्प निषिद्ध हैं | इसलिए साधक को यथासम्भव कमल, चमेली, चम्पा, गुलाब, कनेर, आम, धतूरा, खस, गूलर, पलाश, बेला, केसर आदि पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए |
महा पुण्य दायक शिवरात्रि व्रत करने वाले उपासक को मोक्ष की प्राप्ति कराने वाले चार संकल्प पर नियमपूर्वक पालन करना चाहिए। ये चार संकल्प हैं-
शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा,
रुद्र मंत्र का जप, शिव मंदिर में उपवास तथा काशी में देहत्याग।
परेद्युर्निशीथैकदेश
- व्याप्तौ पूर्वेद्युः सम्पूर्णतद् व्याप्तौ पूर्वेव । - (धर्मसिन्धु )
महाशिवरात्रि
व्रत निशीथ (मध्यरात्रि) व्यापनी कृष्ण चतुर्दशी के दिन किया
जाता है। संवत 2074 फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी 2018 ई० को पूर्ण रूप से निशीथ व्यापनी है।
पूर्व दिने निशीथे
परदिने प्रदोषे तदा पूर्वेव ।
अर्धरात्रात्पुरस्ताच्चेज्जया
योगो यदा भवेत ।
पूर्वविध्दैव कर्तव्या
शिवरात्रीः शिवप्रिया ।। -(पद्म पुराण)
पद्मपुराण मे लिखा है कि, अर्धरात्र से पहले जया तिथि का योग हो तो शिव की प्रिय शिवरात्रि पूर्वविध्दा ही करनी चाहिए ।
इसलिए उपरोक्त शास्त्र निर्देशानुसार महाशिवरात्रि व्रत 13 फरवरी मंगलवार के दिन ही ग्राह्य होगा ।
शिवरात्रि 2018- पूजा समय
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय= 18:04 से 21:20 (13 फरवरी 2018 )
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय = 21:20 से 00:36 (मध्यरात्रि)
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय = 00:36 (रात्रि) से 03:52(रात्रि)
रात्रि चतुर्थ
प्रहर पूजा समय = 03:52(रात्रि)
से 07:08 सुबह (14 फरवरी 2018)
निशीथ काल पूजा समय = 00:10 (मध्यरात्रि) से
01:02(मध्यरात्रि)14th, फरवरी 2017 महा शिवरात्रि पारण समय= सुबह 07:08 से 15:21
भगवान शिव अत्यंत सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं, अत: उन्हें सरलतम तरीकों से ही प्रसन्न किया जा सकता है।
शिवजी की आराधना के लिये कई व्रत हैं, जैसे- सोमवार व्रत, सावन सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि व्रत । इसमें शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है, हर माह की चतुर्दशी तिथि भगवन शिव को समर्पित है और इन सभी चतुर्दशी तिथियों में से फाल्गुन माह में आने वाली चतुर्दशी (शिवरात्रि) को महा शिवरात्रि कहा जाता है
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो
महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भूत:
कोटिसूर्यसमप्रभ:॥
माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा
से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।स्कन्दपुराण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिव पूजन, जागरण और उपवास करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है। रात्रि के समय स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं, अत: उपरोक्त समय में पूजन करने से मनुष्यों के पाप दूर हो जाते हैं।
ईशान संहिता में इसकी महत्ता का उल्लेख इस प्रकार है-
शिवरात्रि
व्रतं नाम सर्वपापं प्रणाशनत्।
चाण्डाल
मनुष्याणं भुक्ति मुक्ति प्रदायकं॥
शिव पूजन में कदम, केवड़ा, कैथ, बहेड़ा, कपास, जूही, सेमल, अनार आदि पुष्प निषिद्ध हैं | इसलिए साधक को यथासम्भव कमल, चमेली, चम्पा, गुलाब, कनेर, आम, धतूरा, खस, गूलर, पलाश, बेला, केसर आदि पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए | शिव पूजन में तीन दलों से युक्त बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है, यह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है|
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर आज बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाएं
गरुड़ पुराण के अनुसार बिल्वपत्र या बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। लेकिन बिल्व पत्र को तोड़ने का मन्त्र अवश्य जान ले
अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ -(आचारेन्दु)
अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।
अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।
शिव पूजन में कदम, केवड़ा, कैथ, बहेड़ा, कपास, जूही, सेमल, अनार आदि पुष्प निषिद्ध हैं | इसलिए साधक को यथासम्भव कमल, चमेली, चम्पा, गुलाब, कनेर, आम, धतूरा, खस, गूलर, पलाश, बेला, केसर आदि पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए |
महा पुण्य दायक शिवरात्रि व्रत करने वाले उपासक को मोक्ष की प्राप्ति कराने वाले चार संकल्प पर नियमपूर्वक पालन करना चाहिए। ये चार संकल्प हैं-
शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा,
रुद्र मंत्र का जप, शिव मंदिर में उपवास तथा काशी में देहत्याग।
ऋषि मुनियों ने समस्त आध्यात्मिक
अनुष्ठानों में उपवास को विषय निवृत्ति का अचूक साधन माना है।
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की
मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर "ॐ नम: शिवाय" मंत्र
से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए
और अगले दिन प्रात: काल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए। दिन
में केवल फल और दूध पियें। रात्रि में उपवास करें।
देव-देव महादेव नीलकंठ नमोवस्तु
ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव
शिवरात्रिव्रतं तब॥
तब प्रसादाद् देवेश निर्विघ्न
भवेदिति।
कामाद्या: शत्रवो मां वै
पीडांकुर्वन्तु नैव हि॥
शिवरात्रि के रात्रि के चार
प्रहरों में चार बार पृथक-पृथक पूजन का विधान है। रात्रि में
चारों पहरों की पूजा में अभिषेक
पहले पहर में दूध से स्नान
कराकर “ॐ ह्रीं ईशानाय नम:” का कम से कम 108 जाप करें।
दूसरे में दही से स्नान कराकर “ॐ ह्रीं अघोराय
नम:” का कम से कम 108 जाप करें।
तीसरे में घी / घृत से स्नान कराकर एवं मंत्र “ॐ ह्रीं वामदेवाय नम:” और
चौथे में शहद मधु स्नान एवं “ॐ हीं
सद्योजाताय नम:” मंत्र का कम से कम 108 जाप करें।
प्रथम प्रहर में दुग्ध द्वारा शिव
की ईशान मूर्ति को, द्वितीय प्रहर में अघोर मूर्ति को, तृतीय प्रहर में घृत द्वारा वाम देव मूर्ति को एवं चतुर्थ प्रहर में मधु
द्वारा सधोजात मूर्ति को स्नान कराकर उसका पूजन करना चाहिए।
भगवान शिव की विस्तृत पूजा करें, रुद्राभिषेक करें तथा शिव के मन्त्र का यथा शक्ति पाठ करें
“ऊँ नम: शिवाय” मन्त्र
का उच्चारण जितनी बार हो सके, करें।
शिव के फलदायी मंत्र
Ø
शिव को पंचामृत से अभिषेक कराते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- “ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमव ह्रीं ऐं “ॐ।
Ø
महिलाएं सुख-सौभाग्य के लिए भगवान शिव की पूजा करके दुग्ध की धारा से अभिषेक करते हुए “ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ” का उच्चारण करें।
Ø
लक्ष्मी अपने `श्री' स्वरूप में अखंड रूप से केवल भगवान शिव की कृपा से ही जीवन में प्रकट हो सकती हैं। अखंड लक्ष्मी प्राप्ति हेतु एक छोटा सा पारद
शिवलिंग घर में लाकर उसकी विधिवत स्थापना करें तथा प्रतिदिन धूप बत्ती, पुष्प आदि चढ़ा पूजा
करें और “ॐ श्रीं ऐं ॐ” मंत्र की दस माला का जाप करें।
Ø
शादी में हो रही देरी दूर करने के लिए इस मंत्र के साथ शिव-शक्ति की पूजा करें।
“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम।।“
Ø संपूर्ण पारिवारिक सुख-सौभाग्य हेतु “ॐ साम्ब सदा शिवाय नमः” का जाप कर सकते हैं।
Ø
शिव
भगवान को आज के दिन चावल चढाने से आपको धन की प्राप्ति होगी।
Ø
अनजाने
में हुए पापों से मुक्ति पाने के लिए आज तिल चढ़ाएं।
Ø
घर
में सुख शांति के आज जौं अर्पित करें।
Ø
आज
के दिन भगवान शिव को गेहूं चढाने से संतान सुख होती है।
Ø
सर्वव्याधि
निवारण हेतु “ॐ मृत्युंजय महादेव
त्राहिमां शरणागतम, जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म
बंधनः” मंत्र का सवा लाख जप करें
Ø
महाशिवरात्रि
के दिन से शुरू करके शिव स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र
होती है और दुःख एवं दरिद्रता का नाश होता है |
Ø
महाशिवरात्रि
पर रुद्राभिषेक का बहुत महत्त्व माना गया है,
इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है।
Ø
जलाभिषेक
: जल से और दुग्धाभिषेक : दूध से। अच्छे स्वास्थ्य के लिए महाशिवरात्रि की रात को
शिवलिंग पर "ऊँ जूं सः" मंत्र का जाप करते हुए दूध मिश्रित जल चढ़ाएं
तथा बेल पत्र अर्पण करें। इससे स्वयं की तथा परिवार की स्वास्थ्य संबंधी सभी
समस्याएं तुरंत ही भाग जाएंगी।
Ø
वैवाहिक
जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किसी सुहागन स्त्री को लाल साड़ी, चूड़ियां, कुमकुम आदि उपहार में दें। गृहस्थ जीवन सुखमय हो जाएगा।
Ø
मनोकामना
पूर्ति के लिए फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र,
धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य
से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर
पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें।
Ø
भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ
नामों से पुष्प अर्पित कर भगवान की आरती और परिक्रमा करें।
Ø
आम
के पत्ते अर्पित करने से भाग्य वृद्धि होती है अशोक के पत्ते अर्पित करने से समाज
में प्रतिष्ठा मिलती है
- अंजु आनंद
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