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मौनी अमावस्या

शरद-संक्रांति और महाशिवरात्रि के मध्य आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है | इस अमावस्या के विषय में कहा गया है कि इस दिन मन, कर्म, तथा वाणी पर संयम रखना चाहिए इसीलिए इस अमावस्या पर मौन व्रत रखा जाता है। यह योग पर आधारित महाव्रत है। इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है | इसीलिए इसे मौनी अमावस कहा जाता है | कुछ साधक तो मौनी अमावस से शुरू करके महा शिवरात्रि तक मौन व्रत का पालन करते हैं |


अमावस्या तिथि का अधिपत्य पितरों के पास है, अतः इस दिन अपने पितरों की शांति हेतु अन्न वस्त्र का दान देना एवं श्राद्ध करना श्रेयस्कर कहा गया है। इससे प्रसन्न हो पितर देवता अपने कुल की वृद्धि हेतु संतान एवं धन समृद्धि देते हैं। अमावस्या तिथि में सूर्य और चंद्रमा साथ रहते हैं |

सूर्य चंद्रमा के योग से वर्ष भर में आने वाली 12 अमावस्या में से माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। माघ के महीने को हिंदू धर्म ग्रंथों में दान स्नानादि के लिए बहुत शुभ माना गया है। माघ मास में आने वाली अमावस्या तिथि और पूर्णिमा तिथि दोनों ही तिथियाँ पर्व के समान मानी जाती हैं | माघ अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध व व्रत का विशेष महत्व हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है।

माघ माह की अमावस्या में सूर्य देव एवम चन्द्रदेव दोनों ही शनिदेव के अधिपत्य वाली मकर राशि मे स्थित होते हैं| माना जाता है इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था | इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है | इस दिन पवित्र नदियों व तीर्थ स्थलों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है इस दिन मौन व्रत धारण करके ही स्नान करना चाहिए | शास्त्रों के अनुसार माघ मास में  सभी देवी देवता प्रयाग तीर्थ में इकट्ठे होते हैं माघ की अमावस्या के दिन यहां पितृलोक के सभी पितृ गण भी आते हैं। अतः यह दिन पृथ्वी पर देवों एवं पितरों के संगम के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन पवित्र जलाशय, नदियों में स्नान व पितरों का तर्पण करने से पितरों कों शांति मिलती है व कई गुना पुण्य मिलता है|

।।अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर् अवन्तिका, पुरी, द्वारावतीश्चैव: सप्तैता मोक्षदायिका।।

कहा गया है कि सतयुग में तप से, द्वापर में श्रीहरि की भक्ति से, त्रेता में ब्रह्मज्ञान और कलियुग में दान से मिले हुए पुण्य के बराबर पूण्य माघ मास की मौनी अमावस्या पर किसी भी संगम में स्नान दान से मिल जाता है।  इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता समान है| अगर किसी कारणवश नदी पर न जा पाएं तो घर पर ही निम्न मन्त्र से स्नान करें -
 ।।गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।

मौनी अमावस का दिन वाणी को नियंत्रित करने का दिन होता है  स्नान दानादि के बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय", "ॐ खखोल्काय नमः" "ॐ नमः शिवाय" मंत्र पढ़ते हुए अर्घ्य दे कर मौन व्रत रखकर एकांत स्थल पर मानसिक जप करना चाहिए | इससे चित्त की शुद्धि व पापों का नाश होता है और आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है |

तंत्र शास्त्र में भी मौनी अमावस्या को विशेष तिथि माना गया है।

इस दिन भूखे को भोजन देने का विशेष महत्व है आपके जीवन में आ रही परेशानियों का अंत करने के उद्देश्य से मछलियों को आटे से बनी गोलिया खिलाएं

मौनी अमावस्या के दिन टिल दान करने का विशेष महत्व है , तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूते का दान भी उत्तम माना गया है।

अमावस्या तिथि को जन्मे जातकों को या जिन की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने करने में विशेष फल की प्राप्ति होगी।

मनोकामना पूर्ति के लिए आटे में शक्कर मिला कर चींटियों को डालें |

कालसर्प दोष निवारण हेतु सुबह स्नानादि से निवृत हो कर चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें और सफेद पुष्प के साथ जल प्रवाह कर दें।
पूर्ण विधि विधान से लघु रूद्र का पाठ किसी योग्य आचार्य से करवाएं

काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए कालसर्प दोष यंत्र का भी पूजन करने का भी यह उचित समय होता है   यन्त्र का विधि पूर्वक पूजन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप करें। कम से कम एक माला जाप अवश्य करें।
मंत्र- अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।




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