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अद्भुत खगोलीय घटना - बुध का पारगमन

09 मई, 2016 अक्षय तृतीय के दिन अंतरिक्ष में होगा एक अद्भुत नज़ारा जब बुध आएगा पृथ्वी और सूर्य के बीच और बुध सूर्य एवं पृथ्वी होंगे एक सीधी लाइन में |
अपनी अपनी कक्षा में सूर्य के चारों और चक्कर लगाते लगाते पृथ्वी-बुध-सूर्य और पृथ्वी-शुक्र-सूर्य के बीच यह स्थिति बनती है, जब भी यह दोनों ग्रह अपनी कक्षा में भ्रमण करते हुए पृथ्वी व सूर्य के बीच आते जाते हैं, तो पारगमन का नजारा देखने को मिलता है।
वैसे तो बुध और सूर्य हमेशा ही आसपास होते हैं और इसी कारण बुध को धरती से देखना मुश्किल होता है क्योंकि सूर्य के अत्यन्त निकट होने से वह उसीके प्रकाश में छुप जाता है लेकिन इस बार 09 मई को बुध को  सूर्य के ऊपर से निकलते हुए स्पष्ट देखा जा सकेगा बुध सौर मंडल का एक अंतरतम् ग्रह है
और पृथ्वी की तुलना मे बहुत छोटा भी है| जब यह सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुज़रता है तो हम उसे एक छोटे से काले बिंदु के रूप मे देख सकते हैं| ग्रहण की ही तरह की स्तिथि बनती है जबकि सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण के दौरान सूर्य की रोशनी की तीव्रता पर प्रभाव पड़ता है परन्तु पारगमन की घटनाओं में यह स्थिति नहीं उत्पन होती। पारगमन में बुध ग्रह अपने आकार के बराबर सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक पहुचने से रोकेगा इस कारण बुध ग्रह सूर्य के विशाल पृष्ठ पर एक काले बिंदु के समान चलता हुआ नजर आयेगा बुध सूर्य के आकार का 1/158 भाग जितना है |

यह एक अत्यन्त दुर्लभ और अनूठी घटना है


इस पारगमन में बुध सूर्य के पृष्ठ पर पूर्व से पश्चिम की और गतिमान प्रतीत होगा। इस घटना की शुरुआत बुध ग्रह के किनारे का सूर्य के किनारे को छूने से होगा जिसे प्रथम स्पर्श कहते हैं, जो चंडीगढ़ में शाम को लगभग 4:42 मिनट भारतीय समयानुसार होगा। इसके करीब तीन मिनट बाद पूरा बुध ग्रह सूर्य के सामने काली बिंदी की तरह नजर आने लगेगा जो धीरे-धीरे सूर्य के सामने से खिसकता हुआ दूसरी तरफ से निकलेगा। इस घटना को पूरा होने में करीब 7:30 घटे का समय लगेगा। शुक्र के पारगमन की तरह इसे नंगी आंखों से देखना संभव नहीं होगा। इसे को सुरक्षित फिल्टर लगे 50एक्स या उससे ज्यादा आवर्धन क्षमता वाले टेलीस्कोप से देखा जा सकेगा। वैसे तो बुध प्रत्येक 116 दिनों में पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है, पर वो सूर्य के साथ समरेखीय नहीं होता, कभी वो सूर्य के उपर से निकल जाता है और कभी नीचे से, इसलिए हम पारगमन की घटना नहीं देख पाते। बुध पारगमन की स्थिति 100 वर्षों में 13 या 14 बार बनती है, जबकि शुक्र पारगमन की सिर्फ दो बार। पिछले तीन बुध पारगमन 1999, 2003 व 2006 में हुए थे। अगला बुध पारगमन नौ मई के बाद 11 नवंबर 2019 को होगा, जिसे भारत से नहीं देखा जा सकेगा।
बुध और शुक्र केवल ये ही दो ऐसे ग्रह हैं जो सूर्य के सामने से गुज़रते हुए पृथ्वी से देखे जा सकते हैं| क्योंकि पृथ्वी की अपेक्षा ये दोनो सूर्य के अधिक नज़दीक हैं
बुध का पारगमन पृथ्वी से तब ही दृश्यमान हो सकता है, जब बुध ग्रह अपनी अंडाकार कक्षा पथ पर आरोही या अवरोही नोड के करीब होता है और पृथ्वी व सूर्य के मध्य हो। वर्तमान कलेंडर प्रणाली के अनुरूप मई के दुसरे सप्ताह में पृथ्वी की कक्षा स्थिति के सापेक्ष बुध अपनी कक्षा के अवरोही नोड पर और नवम्बर के दूसरे सप्ताह में पृथ्वी की कक्षा स्थिति के सापेक्ष बुध अपनी कक्षा के आरोही नोड पर होता है तब यह घटना सयोंग बनता है। एक सदी में डेढ़ दिन का फर्क पड़ जाने से अट्ठारवी शताब्दी में बुध पारगमन 2 मई से 7 मई के बीच घटित होता था जबकि इक्सिवी शताब्दी में यह घटना 7 मई से 10 मई के बीच घटित होगी।
 और भी अद्भुद और आश्चर्य चकित करने वाली घटना यह है कि बुध ग्रह का सूर्य पारगमन मंगल ग्रह के धरातल से भी देखा (रिकार्डिड) किया जा चुका है। मार्स रोवर क्यूरोसिटी ने मंगल ग्रह की सतह से 3 जून 2014 को बुध ग्रह का सूर्य पारगमन रिकार्ड किया है। यह अन्यत्र खगोलीय पिंड से रिकार्डिड पारगमन की पहली घटना है।
(अंजु आनंद चंडीगढ़)




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