आषाढ़ कृष्ण तृतीया यानी 14 जुलाई 2015 को देवगुरु बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश
करेंगे और 11 अगस्त 2016 तक सिंह राशि में ही
विचरण करेंगे। सिंह राशि स्तिथ गुरु का नवमांश
काल 14 सितंबर से 30 सितंबर के मध्य रहेगा। शास्त्रानुसार सिंहस्थ गुरु की अवधि
में गंगा के दक्षिण और गोदावरी के उत्तर क्षेत्र में सभी मांगलिक कार्य वर्जित
बताए गए हैं। वर्गोत्तम स्थिति अर्थात बृहस्पति सिंह नवमांश हो तो समस्त मांगलिक
कार्यों के मुहूर्त नहीं हैं। इस काल को छोड़कर शेष काल में उपनयन, विवाहादि मांगलिक कार्य के मुहूर्त अन्य वर्षों की तिथि, नक्षत्र, मास, ग्रहयोग आदि के
अनुसार ही रहेंगे।
बृहस्पति अपने मित्र व ग्रहमंडलाधिपति
सूर्यदेव की सिंह राशि में संचरण करते हुए अनेक प्रकार के
योग निर्मित करेंगे। इस संचरण के समय में दो स्थानों पर अमृत
वर्ष का सुयोग सिंहस्थ पर्व के रूप में आता है। जब सूर्यदेव गुरु के आधिपत्य वाली
राशियों में प्रतिवर्ष दो बार आते हैं, तो उन मासों में
मलमास (धनुर्मास-मीन मास) का सृजन होता है। इन मासों का उपयोग जीवन के परम
आध्यात्मिक लक्ष्य मोक्ष के कार्य के लिए होता है।
सिंह राशि की प्रवृत्ति पित्तकारक
है और गुरु ग्रह की कफ-वातकारक इस कारण सन्निपातज रोगों की अधिकता रहेगी, अम्लता, पीलिया
व मधुमेह के रोगियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि के योग हैं। उष्ण स्वभाव राशि तथा सौम्य
स्वभाव के गुरु होने के कारण व्यक्तियों में सकारात्मक विचार से प्रयास करने की मनोभावना
का जन्म होगा।
सिंह राशि व गुरु दोनों ही दिन
के समय में बलवान अवस्था में होते हैं इस कारण स्पष्टवादी व्यक्तियों को अधिक सफलता
मिलने का योग बनता है|
भद्रबाहुसंहिता के अनुसार आषाढ़ मास में
बृहस्पति का राशि परिवर्तन हो तो राज्य वालों को क्लेश, मुख्य मंत्रियों को
शारीरिक कष्ट, ईति भीति, वर्षा का अवरोध, फसल की क्षति, नए प्रकार की क्रांति एवं
पूर्वोत्तर प्रदेशों में उत्तम वर्षा होती है |दक्षिण के प्रदेशों में भी अच्छी
वर्षा होती है मलवार में फसल में कुछ कमी रह जाती है गेहूं, धान, जौ और मक्का की
उपज सामान्यता अच्छी होती है
देवगुरु के राशि परिवर्तन
के समय चन्द्र देव कर्क राशि में और शुक्र देव गुरु के साथ सिंह राशि में, सूर्य, बुध,
मंगल मिथुन राशि में, शनि देव वृश्चिक में, राहुदेव कन्या में तथा केतु मीन राशि में
होंगे
इस परिवर्तन में
कर्क, धनु, एवं वृषभ
राशि वालों के लिए स्वर्ण मूर्ति निर्मित होगी अत्यंत शुभ फल प्राप्त होंगे
सिंह, वृश्चिक और कुम्भ
वालों के लिए रजत मूर्ति: शुभ फलों की प्राप्ति
कन्या, मकर, मेष वालों
के लिए ताम्र मूर्ति: मध्यम शुभता
तुला, मीन और मिथुन राशि
के लिए लोह मूर्ति: अशुभ फल
सामान्यत: जन्मांग के चंद्र से 2, 5, 7, 9 और 11वें भाव में गुरु का गोचर
शुभ फल प्रदान करने वाला होता है | लेकिन 1, 3, 4, 6, 8, 12 वें स्थान पर गोचर हो रहा
हो तो कई प्रकार की समस्याओं की स्थिति उत्पन्न हो सकती है |
गुरु के सिंह राशि में
संचरण का द्वादश राशियों पर प्रभाव इस प्रकार होगा
मेष:
बृहस्पति का सिंह राशि में प्रवेश मेष राशि के जातकों के लिए शुभ होगा शिक्षा के क्षेत्र
में सफलता के अनुकूल योग, मान-सम्मान एवं सुखों में वृद्धि होगी | श्रेष्ठजनों से संपर्क
होगा भाग्य प्रबल होने से सभी काम बनेंगे आध्यात्मिक और कल्याणकारी कार्य होंगे, घर
परिवार में किसी शुभ कृत्य का आयोजन हो सकता है | सामाजिक दायरा बढे़गा।
उपाय: ब्राह्मणों, पुजारियों और साधुओं की सेवा करें शुभ फल मिलेगा |
वृष : वृषभ राशि वालों के लिए केंद्र
में अर्थात चतुर्थ भाव में गुरु के आने से पारिवारिक सुख की वृद्धि होगी, संघर्ष की
स्थिति अधिक रहेगी | इस दौरान स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है, विशेष
कर यदि मधुमेह या मोटापे के शिकार हैं तो अत्यधिक सावधानी बरतें | मानसिक रूप से सोच
विचार अधिक रहेगा | घर परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। आप बड़े अधिकारियों और शक्ति
सम्पन्न व्यक्तियों के सम्पर्क में आएंगे
उपाय: बृहस्पति सम्बन्धी वस्तुओं विशेषकर चने की दाल का दान करना श्रेयस्कर
रहेगा
सम्भव हो तो पीली वस्तुओं
का त्याग करें
चरित्र को पवित्र बनाए
रखें
मिथुन : मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु तृतीय भाव में प्रवेश
कर अस्थिरता की स्थिति का निर्माण करेंगे कठिन संघर्ष रहेगा, परन्तु आपके पराक्रम में
वृद्धि होगी, छोटी दूरी की यात्राओं के माध्यम से काम बनेंगे। लेकिन स्वास्थ्य का खयाल
जरूरी होगा। तृतीय भाव आपकी वाक् कुशलता, पराक्रम, भाई, संचार और सम्प्रेषण आदि का
मुख्य भाव है। भाई – बहनों से संबंधों में
काफी उतारचढा़व रहेगा | आपके भाग्य पक्ष के लिए यह परिवर्तन अधिक उपयोगी नहीं हैं,
व्यवसाय में बाधा के योग बनते हैं | परिवार
में मांगलिक कार्य के योग का निर्माण होता है, अविवाहित लोगों के लिए विवाह के अवसर
उत्पन्न होंगे | साथ ही धार्मिक कार्य में रूचि बढ़ेगी |
उपाय: माँ दुर्गा की आराधना करें
छोटी कन्याओं को मिठाई
और फल दान करें।
कर्क: कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु षष्टेश और भाग्येश होकर द्वितीय
भाव में विचरण करेंगे जहाँ धन लाभ, कुटुम्ब सुख के लिए शुभ रहेगा धन संचय के लिए यह
गोचबहुत अनुकूल रहेगा |
वहीँ स्वास्थ्य सम्बन्धी
समस्यायें अधिक उत्पन्न करेगा |आपको इस पूरे वर्ष पर्यंत कर्ज लेने और देने की स्थिति
से बचना चाहिए | लोकप्रियता में भी इजाफ़ा होगा, शत्रुओं पर विजय मिलेगी विरोधी और प्रतिस्पर्धी
परास्त होंगे | प्रवास से लाभ होगा जब तक राहू का राशि परिवर्तन नहीं होगा आपकी वाणी
अत्यंत ही ओजस्वी रहेगी, आपकी बुद्धि प्रखर रहेगी और कुछ अच्छे कार्य संपन्न करेंगे
| प्रेम प्रसंगो में भी अनुकूलता रहेगी। इस
साल परिवार में कोई शुभ कृत्य सम्भव हैं। परिवार में किलकारियां गूंजने के योगायोग
भी प्रतीत हो रहे हैं।
उपाय: पुजारी या कुलपुरोहित को पीले कपड़ों का दान करें।
सिंह : जन्मांग के चन्द्र के ऊपर पंचमेश और अष्टमेश गुरु का विचरण अत्यंत
ही लाभकारी होगा आपकी बुद्धि तेज होगी, संतान से सुख मिलेगा | स्वास्थ्य के प्रति थोडा
सतर्क रहें | भाग्य वृद्धि होगी | सोच सकारात्मक
रहेगी। मन प्रसन्न रहेगा। घर परिवार में सुख शांति आएगी। व्यर्थ की भागदौड़ अधिक रह
सकती है |आमदनी बढ़ने के योग मजबूत हो रहे हैं। उच्चाधिकारियों से आपके सम्बंध सुधरेंगे।
नौकरी में तरक्की भी सम्भव है। शिक्षा एवं प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे जातकों के
लिए यह परिवर्तन अत्यंत ही लाभकारी होगा अध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों में सफलता प्राप्त
मिलने के योग हैं |
उपाय: गायों की सेवा करें।
मीठा काम खाएं |
पीली वस्तुओं से उचित
दूरी बनायें रखें |
कन्या : जन्म राशि से द्वादश भाव
में गुरु का विचरण मानसिक असंतोष, संपत्ति
संबंधी विवाद और पीड़ा दे सकता है | परिवार से दूर भी जाना पड़ सकता है | कन्या राशि
के लिए गुरु का द्वादश भाव में आना और पंचम दृष्टि से सुख भाव को देखना , सुख भंग योग
का सृजन करेगा | वैवाहिक जीवन के लिए भी यह समय अत्यंत ही कठिनाई भरा हो सकता है विशेष
कर यदि कुंडली में पहले से ही कोई दोष हो तो
आपसी रिश्तों को संभालना मुश्किल हो सकता है| धन का व्यय शुभ कार्यों हेतु हो
सकता है | लेकिन संकोच व भय से हानि हो सकती है |
मन में कुछ असुरक्षा की भावना रह सकती है। फ़ालतू कामों में न उलझें और सही दिशा
का चयन सावधानी पूर्वक करें। विरोधियों के षडयंत्र को पहचाने और समस्याओं का डट कर
सामना करें। यथासम्भव बेकार की यात्राओं से बचें। आर्थिक, सामाजिक और निजी सभी मामलों
में संयम से काम लें। इस समय आर्थिक क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रहने की बेहद आवश्यकता
है |
उपाय: साधुजनो की सेवा करें
गुरुजनो की सेवा करना
शुभ रहेगा।
तुला: लाभ स्थान में बृहस्पति का गोचर शुभ रहेगा | आर्थिक स्थिति में सुदृढ़ता
आएगी, वाहन सुख का योग बनेगा, बुद्धि से सम्मान की प्राप्ति होगी । संतान पक्ष भी अनुकूल
रहेगा | प्रतियोगिताओं और प्रतिस्पर्धाओं में निश्चित सफलता मिलेगी | पराक्रम में वृद्धि
होगी तथा परोपकार की ओर रूचि बढ़ेगी | भाई – बहनों से सहयोग मिलेगा और आप भी उन्हें
सहयोग करेंगे | और भाई बन्धु भी खुशहाल रहेंगे। परन्तु प्रेम -संबंधों के मामले में
थोडा संभल कर चलें तो बेहतर अन्यथा दुःख उठाना पड़ सकता है | पत्नी /पति से परिस्थिति
वश दूरी बढ़ सकती है |
उपाय: पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं |
वृश्चिक: वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु का विचरण दशमभाव यानी कर्मभाव में
हो रहा है, याद रहे
कर्म प्रधान
सकल जग माहि
करम हीन
नर कछु पावत नाही
शनिदेव पहले से ही वृश्चिक
राशि में विराजमान हैं, आपके कर्मों से शुद्धता आएगी। व्यवसाय में विस्तार होगा | वाद
– विवाद में ना उलझे, अन्यथा शत्रु हावी हो सकते | समाज में भी मान – प्रतिष्ठा बढ़ेगी
| यदि शिक्षा – प्रतियोगिता में स्वयं भाग ले रहे हैं तो सफलता के लिए अधिक परिश्रम
की आवश्यकता पड़ेगी | पारिवारिक जीवन भी खुशहाल रहेगा। नौकरीपेशा जातकों के लिए नौकरी
में तरक्की होने के मजबूत योग बन रहे हैं। शारीरिक कष्ट या शिथिलता का सामना करना पद
सकता है | संपत्ति में लाभ के योग बन रहे हैं |
उपाय: धर्मस्थल पर साबुत बादाम चढ़ाएं
धनु: जन्म चन्द्र से नवम स्थान पर बृहस्पति का संचरण
धनु राशि के जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी है,
गुरु आपके लिए लग्नेश और चतुर्थेश है, लग्नेश का भाग्य स्थान पर विचरण आपके
लिए चहुमुखी विकास का रास्ता खोलेगा | शारीरक स्वास्थ्य बेहतर होगा , यदि किसी लम्बी
बीमारी से जूझ रहे थे तो अब बहुत राहत मिलेगी, सुखों में वृद्धि होगी, भाग्योदय होगा
| लम्बी यात्राओं से लाभ होगा | आपके भीतर प्रचुर उत्साह और विश्वास जागेगा अत: आपके
प्रभाव में बढ़ोतरी होगी, संतान सुख की प्राप्ति संभावित है साथ ही जो लोग किसी प्रतियोगिता
में भाग ले रहे हैं उन्हें भी सफलता आसानी से प्राप्त होगी | गुरु से भेंट हो सकती
है | नौकरीपेशा लोगों को अपने उच्च अधिकारियों से तालमेल बैठाकर चलने की जरूरत है
|
उपाय: शाकाहारी बने और
मांस मदिरा से बचें
बहते पानी में चावल बहाना शुभ रहेगा।
मकर : अष्टम भाव से बृहस्पति
का गोचर मकर राशि के जातकों के लिए मानसिक तनाव का कारण बन सकता है , स्वास्थ्य पर
प्रतिकूल प्रभाव देने वाला होगा, जो लोग मोटापे के शिकार हैं या जिन्हें मधुमेह या
लीवर सम्बन्धी बीमारियाँ हैं उन्हें अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ सकती है | यदि गुरु की
दशा या अंतर भी है तो काम में मन नहीं लगेगा, आलस्य हावी रहेगा | हाँ यात्राओं से लाभ
अवश्य होगा भ्रमण की रूचि बढ़ेगी और लाभदायक
भी रहेगी |.आपका मन कुछ गूढ़ विद्याओं की ओर आकृष्ट भी हो सकता है। अचानक धन की प्राप्ति
भी हो सकती फिर भी इस समय पूंजी निवेश करना ठीक नहीं होगा। इस समय भाग्य पर आश्रित
कार्य में प्रतिकूलता रहेगी अतः भगय के भरोसे रहना भी ठीक नहीं होगा बल्कि आत्मनिर्भर
रहना ही उचित होगा। आर्थिक हानि के योग बनते हैं |
उपाय: स्वास्थ्य का ध्यान रखें
मंदिर में घी, आलू और
कपूर दान करना शुभ रहेगा।
कुम्भ : सप्तम भाव में
बृहस्पति का गोचर आपकी आकांक्षाओं की पूर्ति करेगा। ऐश्वर्य में वृद्धि होगी, पुरानी
कठिनाइयों से छुटकारा मिलेगा, जीवन में सहजता
आएगी । कार्य व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी और समाज में मान – प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी | अविवाहित
जातकों के लिए विवाह की प्रबल संभावनाएं बन रही हैं | साझेदारी के कार्य में लाभ मिलेगा | संतान पक्ष
से सहयोग मिलेगा परन्तु क्रोध में वृद्धि हो सकती है | गुरु का राशि परिवर्तन जहाँ
एक ओर सामाजिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभदायक रहेगा तो दूसरी और व्यक्तिगत सुख
में कमी की अनुभूति कराने वाला होगा, पत्नी या प्रेमिका से मतभेद उत्पन्न होने की संभावना
बनेगी या किसी कारण वश दूरी भी संभव है | धार्मिक कार्यों में रूचि उत्त्पन्न होगी
उपाय: भगवान शिव की पूजा
करना शुभ रहेगा।
मीन: मीन राशि के जातकों के लिए छठे भाव में गुरु के विचरण से आपको शत्रुओं के कारण कष्टकारी
होगा | बृहस्पति आपके जन्मांग में लग्न और दशम भाव का स्वामी है यदि दशम भाव जन्मांग
में ही दूषित है या शनि के प्रभाव में है तो आप विवादों से दूर रहें और विरोधियों की
रणनीति को बारीकी से समझें वरना कोर्ट केस – मुकदमे की सम्भावना भी बन सकती है | लेकिन
मुकदमेबाजी और न्यायालयों के मामलों के लिये
यह समय अच्छा है। यात्रा में कष्ट और विवाद से हानि होने का योग है | लीवर, मधुमेह,
मोटापा इत्यादि से सम्बंधित समस्यायें उत्पन्न हो सकती हैं इसलिए अपने स्वास्थ्य के
प्रति बेहद सतर्क रहें | छठे भाव में बृहस्पति का गोचर संकेत कर रहा है कि यदि आप कड़ी
मेहनत करेंगें तो आपको अनुकूल परिणाम जरूर मिलेंगे।
उपाय: गुरु की वैदिक
शांति करायें
पुजारी को कपड़े और चंदन
भेंट करना शुभ रहेगा।
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